जान की कीमत – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

बच्चों को स्कूल भेज कर राशि आराम से चाय पीने का सोच रही थी…. सुबह जल्दी उठने से बच्चों का टिफिन भी  तैयार हो गया था इसलिए इत्मिनान से चाय का लुत्फ़ उठा सकती थी।

राशि अपने और अपने पति निकुंज के लिए चाय बना कर अभी कुछ घूँट ली ही थी कि फोन की घंटी बज गई।

देखा तो उसके बड़े भाई का फोन था

“हैलो प्रणाम भैया ।” जैसे ही राशि ने कहा 

उसके भाई की दुःखी सी आवाज़ कानों पर पड़ी,” राशि एक बुरी खबर है…. वो हमारे चचेरे चाचा जी के बेटे विक्की ने सुसाइड कर लिया है…तुम लोग इसी शहर में रहते हो तो सोचा खबर कर दूँ….ऐसा करना बच्चों को स्कूल भेज कर मेहमान जी के साथ आ जाना।”

“ठीक है भैया …. पर विक्की ऐसा क्यों करेगा….अभी तो चार दिन पहले हम सब बुआ के बेटे की शादी में कितनी मस्ती कर रहे थे ऐसा अचानक क्या हो गया?” राशि ने कहा पर शायद उधर से फ़ोन कट चुका था 

“क्या हुआ राशि …भैया क्या बोल रहे थे?“राशि के उतरे चेहरे को देख शंकित स्वर में निकुंज ने पूछा 

“ वोऽऽ वोऽऽऽऽ विक्की है ना उसने सुसाइड कर लिया….वो ऐसे कैसे कर सकता है…. अपने पिता के गुजर जाने के बाद तीनों बड़ी बहनों कीं ज़िम्मेदारी कितनी बख़ूबी निभा रहा था अभी उसे छोटी बहन की शादी भी तो करनी थी ….उसकी तैयारी में जुटा हुआ था …उस दिन जब बताया तो हम सब भाई बहनों ने कहा भी कुछ भी ज़रूरत होगी हमें कह देना संकोच मत करना …फिर अचानक से ऐसे कैसे कर सकता है…..जरूर कुछ बात हुई होगी…भैया ने भी कुछ नहीं बताया और फोन रख दिए ऐसा कीजिए जल्दी से कपड़े बदल कर हम चलते हैं ।”

“ठीक है ।” कहकर निकुंज जाने की तैयारी करने लगा

जब राशि विक्की के घर जा रही थी तो पूरे  रास्ते यही सोचती रही, तीन बहनों का सबसे छोटा भाई था बहुत इच्छा थी चाचा की एक तो बेटा हो जाए और भगवान ने उनकी सुन ली बहुत लाड प्यार में पला बढ़ा पर बीस साल का ही था

जब उसके पिता की तबीयत ख़राब हुई और वो चल बसे पिता के जाने के बाद बहनों ने भी छोटा मोटा काम करना शुरू कर दिया ताकि आर्थिक तंगी ना हो और घर का गुज़ारा चलाया जा सके उपर से सबसे छोटा होते हुए भी विक्की ने बहुत अच्छे से सबकुछ संभाल लिया था….हंसमुख स्वभाव का विक्की की सब तारीफ करते हमेशा सबकी मदद करने को तत्पर रहता जब पति के तबादले के बाद मैं अपने ही मायके वाले शहर आई तो परिवार जनों से शादी ब्याह पर मिलना होता रहता था और भाई बहनों का आना जाना भी लगा रहा था ।

“किसी लड़की के साथ तो कुछ लफड़ा नही था? प्यार व्यार का चक्कर तो नहीं था ना?” निकुंज के ऐसे सवाल से मेरा मन शंकित तो हुआ पर दिमाग ये बात मानने को तैयार नहीं था अगर ऐसा कुछ होता तो चाची जी को क्या दिक़्क़त होती समझदार लड़का था जो करता सोच समझ कर ही फिर भी कहीं उस वजह से तो …. जब कुछ सही से पता नहीं होता तो मन में सवालों का  जत्था  भी उसी तरह उमड़ता घुमड़ता रहता है ।

“नहीं ऐसा क्यों करेगा, जब सबकुछ इतने अच्छे से संभाल लिया तो प्यार भी करता होगा तो मरने की सोचने वाला लड़का नहीं लगता। “राशि उदास स्वर में बोली

बातों बातों में विक्की का घर भी आ गया।

चारों तरफ से रोने की आवाज आ रही थी। बाइस साल का लड़का ऐसे कैसे माँ और एक कुँवारी बहन को छोड़ कर जा सकता?

जितने लोग उतनी बातें।

फर्श पर पड़े विक्की के शरीर को देख आँसू रूकने का नाम नहीं ले रहे थे।

कुँवारी छोटी बहन का ज्यादा ही लाडला था वो तो…. पता नहीं ऐसा क्या हुआ था जो वो विक्की के शरीर को देख देख कर बस एक ही बात बोलती जा रही थी,”सबने मिलकर मार दिया इसको….मेरा भाई ऐसा कभी नहीं कर सकता।”

उसकी बात सुन कर सब सोच में डूब गए आख़िर उसकी बहन ऐसा क्यों कह रही है ? किसी को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था….चूंकि सुसाइड केस था तो वहाँ पर पुलिस भी आई हुई थी। 

सबसे पूछताछ हो रही थी।

कोई भी सुराग नहीं मिल रहा था। 

पुलिस ने केस दर्ज कर लिया ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके ।

लंबे अंतराल के  बाद  विक्की को पंचतत्व में विलीन करने की अनुमति दी गई ।

हँसता हुआ विक्की नजर के सामने से जा ही नहीं रहा था दाह संस्कार के बाद सब अपने अपने घर चले गए हम भी  अपने घर आ गये।

पर दिमाग में यही चलता रहा ऐसा क्या हुआ होगा जो उसने सुसाइड करने जैसा कदम उठाया

कुछ वक्त बाद सुनने में आया कि विक्की के ही अपने चचेरे भाइयों ने मिल कर उसकी हत्या कर के सुसाइड का रूप दे दिया था….जो वजह सामने आई वो यह कि उनलोगो की नजर विक्की की जमीन पर थी ….वो जमीन ऐसी जगह पर थी कि उसको बेचकर अच्छे पैसे मिलते। 

विक्की अपनी बहन की शादी के लिए वो जमीन बेचना चाहता था पर उनलोगो की नजर उस जमीन पर थी और वो ज़मीन उन्हें अपने हाथ में लेना था जिसे वो ऐसे ले नहीं सकते थे… विक्की को रास्ते से हटा देने के बाद और कोई लड़का उस घर में था नहीं जो उस ज़मीन के लिए विवाद खड़ा करता … बहनों में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो उन चचेरे भाइयों के ख़िलाफ़त कर सके क्योंकि वो शुरू स् ही थोड़े अलग क़िस्म के रहे मारने पीटने, गाली गलौज करना

तो आदत में शुमार था बहुत बार जेल के भी चक्कर लग गए पर आसानी से छूट जाते थे क्योंकि ना कोई गवाह मिलता था ना कोई प्रूफ़….चचेरे भाइयों को वो जमीन विक्की को रास्ते से हटाकर आसानी से मिल सकती थी क्योंकि जो वसीयत उनके दादा जी ने बनवाया था उसमें लिखा था मेरी सारी सम्पत्ति मेरे पोतों की होगी। विक्की के अलावा उसके दो चचेरे भाई ही थे जो उस जमीन के दावेदार थे और उन लोगों को पूरी जमीन चाहिए थी इसलिए उनलोगो ने इस तरह का षड्यंत्र रचा

कि वो घटिया अंजाम दे दिया जो सबकी नज़रों में आत्महत्या लगे ….बिना ये सोचे कि वो हमारा छोटा भाई ही है।जब ये सब हुआ उस वक्त विक्की के घर में ना माँ थी ना बहन माँ दूध लाने बाज़ार गई हुई थी और बहन अपने स्कूल की ड्यूटी पर….कोई गवाह नहीं था  जो ये कह सके कि उसकी हत्या की गई है ये सीधा सा आत्महत्या दिख रहा था पर अंदर की बात अंदर ही रह गई विक्की चला गया…उसके जान की क़ीमत पर उसके ही चचेरे भाइयों को ज़मीन मिल गई और 

किसी की पूरी दुनिया उजड़ गई ।

सुना है ज़र(पैसा),जोरू( औरत), जमीन ये तीन ऐसी चीजें है जो रिश्ते पर भारी पड़ जाते ….फिर अंजाम की परवाह कौन करता है।

विक्की की जान की कीमत  शायद उनके भाइयों की नजर में बहुत कम होगी तभी तो बिना कुछ सोचे उसकी जान लेने की हिमाकत कर गए।

ये कहानी सच के क़रीब है और हो सकता है मुझसे कुछ त्रुटि रह गई हो क्योंकि पूरी घटना को लिख पाना थोड़ा मुश्किल है बस कीमत शब्द देखते ही मेरे ज़ेहन में वो पूरी घटना की याद आ गई जो हमारे पास ही कभी घटी थी।

आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा ।

धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

# कीमत

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!