इन बूढ़ी आँखों ने सबसे अटूट रिश्ते को टूटते देखे हैं – कामिनी मिश्रा : Moral Stories in Hindi

काश कि उस वक्त मैं तेरी माँ को नहीं रोकती ,  उसे मोहित के साथ जाने देती , तो आज यह दिन नहीं देखना पड़ता….. अपनी लाचारी दिखाकर मैंने तेरी माँ का घर बर्बाद कर दिया इतनी भी मैं बीमार नहीं थी कि मैं कुछ

कर नहीं सकती थी  । 

इन आँखों ने अपने ही बेटे बहु के रिश्ते को टूटे हुए देखा है ….. तुम्हारी माँ तो प्रेम विवाह करके मोहित के साथ आई थी । ऐसे अटूट प्रेम भरे रिश्ते को भी टूटते हुए देखा है ।

इन बूढ़ी हड्डियों में अब जान नहीं है अब जीने की वजह भी नहीं रही ,उम्र के साथ आज मेरा फर्ज भी पूरा हो गया …..मुझे माफ कर देना गुड़िया ………कुसुम जी की आँखों से आंसुओं की धार बहने लगती है । और वह पुरानी

बातों को याद करके सिसक सिसक  कर रोने लगती है …..

 दादी आप क्यों रोती हो पुरानी बातों को याद करके अब क्या फायदा  …..जो होना था वह तो हो गया…. और इसमें आपकी क्या गलती थी……गलती तो पापा ने किया….? और सजा मेरी माँ को मिली….खैर….. अब दादी आप

इन बातों को याद करके मत रो…. यह देखो दादी मैं डॉक्टर बन गई और मेरी डॉक्टर की डिग्री. ….. 

कुसुम जी अपनी आँखों से आंसू पोछते  हुए डॉक्टर की डिग्री हाथ में लेकर…..आज तेरी माँ जिंदा होती तो मुझसे ज्यादा खुशी उसे मिलती…… 

दादी मैं जानती हूं कि यह सपना मेरी माँ ने मेरे लिए देखा था…. पापा के धोखे के बाद माँ अकेली पड़ गई थी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी ….. उन्होंने मेहनत की और मुझे पढ़ाया लिखया…… हां बस दुख इस बात की है कि वह

मुझे डॉक्टर बनते हुए देख नहीं पाई. …. 

जब होनी को कुछ और मंजूर हो…. तो क्या कर सकते हैं ……आज माँ का सपना आपने पूरा किया है… मुझे इस लायक बनाकर. …. 

कुसुम जी वह डिग्री लेकर अपनी बहू नंदिता की तस्वीर के आगे रख देती हैं, और लड़खड़ाते होठों से कहती है …..देखो नंदिता आज तुम्हारी बेटी ने तुम्हारा सपना पूरा किया , वह डॉक्टर बन गई , आज मैं इस दर्द से

आजाद हो गई ….और रोने लगती है. … 

दादी आप यहां बैठो और मुझे यह बताओ कि आपने दवाई ली…. मुझे भिखू काका बता रहे थे कि आप समय पर दवाई नहीं ले रही थी….. 

क्यों दादी. ….ऐसा क्यों करती हो आप….. 

कुसुम जी.. नहीं गुड़िया आज दवाई लेना भूल गई मेरी  बात सुन यहां बैठ मुझे बहुत जरूरी बात करनी है. ….. 

दादी बात  हम करते रहेंगे पहले आप दवाई ले लो नहीं तो आपकी हालत और बिगड़ जाएगी. … 

कुसुम जी- बिगड़ने दे मेरी हालत , अब क्या करूंगी जी करके …..पहले मेरी बात सुन गुड़िया तू अब डॉक्टर बन गई है और मुझे यह डर है कि तेरे पिता तुझे ढूंढते हुए जरूर आएंगे. … तेरा उनसे कोई वास्ता नहीं है। वह मर

चुका है हमारे लिए ……तू मुझे वादा कर कि अपने पिता पर दया नहीं दिखाएंगी  । 

दादी आप ऐसा क्यों बोल रही हो…… 

गुड़िया  वादा कर मैं जानती हूं वह धोखेबाज जरूर आएगा अब रिश्ता निभाने के लिए.. बोलते बोलते कुसुम जी खांसने लगती है. .. 

अच्छा दादी वादा करती हूं कि अपने पिता की बातों में नहीं आऊंगी पहले आप यह दवाई खा लो । 

कुसुम जी दवाई खा कर गुड़िया के गोद मे लेट जाती है… 

अच्छा दादी एक बात बताओ माँ के जाने के बाद आपने मुझे हॉस्टल में डाल दिया , तो क्या कभी पापा आपसे मिलने नहीं आए……. मेरे बारे में भी उन्होंने नहीं पूछा. …? 

कुसुम जी आंखें नम करते हुए आया था ….अपनी दूसरी पत्नी और दो जुड़वा बेटे के साथ…….. 

क्या पापा आपको ले जाने के लिए आए थे. …? उन्होंने मेरे बारे में भी पूछा. …? 

नहीं वह मुझे ले जाने नहीं आया था ,शहर में कर्ज में इतना डूब गया कि वह शहर से भाग कर यहां   मुझसे मदद मांगने के लिए आया था ।

 वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ यहां इस घर में रहने के लिए आया था … 

दादी अब कहां है पापा….? 

कुसुम जी – मुझे नहीं पता गुड़िया. …. उसने जो तेरी माँ के साथ किया उस बात को मैं आज तक भूल नहीं पाई हूं इसीलिए मैंने उस वक्त उसे घर से निकाल दिया था…. 

पर दादी वह तो आपके बेटे हैं ना ….आप उनके बिना कैसे रह सकती हैं. ..? 

कुसुम जी – गुड़िया तेरी माँ बहुत अच्छी थी ….जिस वक्त तेरे पिता शहर जा रहे थे , तुझे और तेरी मां को को भी लेकर जा रहा था ।

उस वक्त मैं बीमार थी, मैंने एक बार कहाँ और  तेरी माँ यहां रुक गई , जबकि वह तो मेरा बेटा था उसने एक बार भी मेरे बारे में नहीं सोचा और शहर चला गया वह चाहता तो मुझे भी लेकर जा सकता था पर उसने ऐसा नहीं किया ।

4 साल बीतने के बाद हम लोगों को पता चला कि उसने दूसरी शादी कर ली…… तेरी माँ बहुत रोई थी और वह मेरे कहने पर शहर भी गई तुझे लेकर मोहित को समझाने के लिए….. 

लेकिन उस वक्त तेरी सौतेली माँ गर्भ से थी…. इसीलिए नंदिता तुझे लेकर यहाँ लौट आई…. बोलते बोलते कुसुम जी सिसक सिसक कर रोने लगी…. मुझे गुड़िया माफ कर दे मेरी वजह से आज तू अपने माता पिता के प्रेम से

वंचित हो गई ।…. उस वक्त मेरा एक फैसला इतना गलत साबित हुआ कि अपने ही बेटे बहू के रिश्ते को टूटते हुए देखी…… 

दादी आप रो मत. …. आप गलत नहीं थी …आप बार-बार अपने आप को गलत क्यों कहती हो… पापा ने जो किया वह सही नहीं किया और मैं कभी भी उनकी शक्ल नहीं देखूंगी. …. आप अब मेरे साथ शहर में रहोगी यहां

गांव में रहने की जरूरत नहीं है । 

ठीक है ना दादी….. 

दादी आप चुप क्यों हैं…. 

दादी. ……. 

दादी उठो ना दादी ……दादी । 

दा………दी…..आप ऐसा कैसे कर सकती हो…. 

और देखते ही देखते कुसुम जी की साँसे गुड़िया की गोद में ही थम गई थी ।

 

कामिनी मिश्रा कनक

फरीदाबाद

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