हमारे खानदान में लेने देने की जगह रिश्तों में प्रेम और अपनापन हो इस पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है – ऋतु यादव : Moral Stories in Hindi

Post Views: 4 आज कलाकृति जी की बहू सच्शमिता, अपने भाई की शादी के बाद मायके से आई है। कलाकृति जी आते ही पोते को गोद में लेते हुए बोली, हाय!! एकांश मेरा लाडला, मेरा तो बिल्कुल मन नहीं लग रहा था तेरे बिना। एकांश भी अपनी तोतली आवाज़ में बोला दादी मुझे भी आपकी … Continue reading हमारे खानदान में लेने देने की जगह रिश्तों में प्रेम और अपनापन हो इस पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है – ऋतु यादव : Moral Stories in Hindi