माना की आज तनाव भरी एवं व्यस्त जीवन में हास्य का अपना ही महत्व है यह हमें खुश रखने में मदद करता है लेकिन यही मजाक अगर सही तरीके से न किया जाए,या मजाक की आड़ में कटाक्ष ,तो पल भर में सारे खुशनुमा माहौल को बिगाड़कर रख देता है…..
काफी समय से मिलना जुलना नहीं हुआ…. इसलिए राधा और उसकी मम्मी ने नये वर्ष के उपलक्ष्य में एक विशाल पार्टी का आयोजन किया। पार्टी में दोनों की ही सहेलियां आमंत्रित थी। वहीं अपने में खुशफहमी का झूठा अहम् राधा की सहेली बबीता अपने स्वभाव से वशीभूत सामने से आती रमा को देखकर व्यंग्य कर बैठी…
.ओ माई गॉड…जरा रमा के कपड़े तो देखो कितने टाइट पहने, सारा पेट बाहर निकला नजर आ रहा..ढोल सी नजर नहीं आ रही…ढीले नहीं पहन सकती थी क्या ….?
इतना सुनकर पूरा सहेलियों का झुंड एक साथ खिलखिला कर हंसने लगा …रेखा,मीनी, सीता, गीता,मीता सभी सहमती से सर हिला रही और ठहाके लगाती जा रही ।
तभी रेखा ने दूर खड़ी मिसेज वर्मा को दिखा कर बोला अरे वो देखो जरा, साठ से कम ना होंगी और बालों में डाई …. कुछ ज्यादा काला नहीं कर दिया ऐसा लगता जैसे कौआ बैठाकर ले आई हों …ही.ही.ही खित. खित.. खित सभी सहेलियां एक दूसरे को हाथ से धक्के मारती इठलाती बलखाती चहक रही थी ।
फिर तो जो सिलसिला चला कोई मोटा, कोई पतला कोई टेड़ा मेड़ा आपस में व्यंग्य करती …. कोई मतलब नहीं कोई उनकी बातों को ताने के रूप में भी ग्रहण कर सकता है।
रमा ने अपने ऊपर किए व्यंग्य को सुना तो उसका तो सारा मजा ही किरकिरा हो गया…कितने चाव से उसने ये ड्रेस बनवाया था ।
ओर जहां तक उसने महसूस किया वो सही ही लग रही इतनी बुरी तो नहीं कि सब खिल्ली उड़ाते।
वैसे रमा बहुत ही खूबसूरत, पढ़ाई-लिखाई में अव्वल राधा की धनिष्ठ मित्र बस थोड़ा हाईट कम होने से पेट बाहर निकला नजर आता था जो थोड़ा उसकी सुन्दरता को कम कर देता था मगर सारा मिला कर काफी स्मार्ट थी वो …उसकी आंँखों में तो आँसू आ गये वो सुबक- सुबक कर रोने लगी।
राधा और उसकी मम्मी को सब सुनकर अच्छा नहीं लगा…. राधा बोली कुछ तो शर्म करो तुम सब ।
राधा को गुस्से में देखकर बात बिगड़ती देख बबीता कहने लगी अरे…हम तो यूं ही मजाक कर रहे थे…!!!
राधा ने कहना बराबर जारी रखा “ किसी की शारीरिक मानसिक कमजोरी को निशाना बनाना कहां तक सही है..यह मानवीय, नैतिक दृष्टि से ठीक नहीं है? मजाक किसी को दुखी करने के लिए नहीं किया जाता, अपनी हंसी के लिए दूसरों को रूलाने का किसी को अधिकार नहीं है “ ।
तुम ऐसा करते हो तो इससे तुम्हारी छवि का ही पतन होता है। तुम खुद सोचो कोई तुम्हारा ऐसा मजाक बनाये तुमको कैसा लगेगा ?
राधा की मम्मी ने लड़कियों को समझाया बच्चों हर इंसान का अपना स्वाभिमान होता है। कुछ स्वभावगत मूल्य भी होते हैं । कुछ अपनी विशिष्ट छवि बनाकर रखने में विश्वास करते हैं। वरिष्ठता बिना सोचे मजाक किसी को चोट पहुंचा सकता है। भद्रता की सीमा न तोड़ें सौम्याता एवं शिष्टता का ध्यान रखें ।
जब खुशनुमा माहौल काफी गर्म हो गया ये देख मिसेज बक्शी ने थोड़ा मामला सम्भाला उन्होंने प्यार से रमा के सर पर हाथ रखा बोली बेटा…
” जो मजाक बनाते हैं न वो शायद खुद कमजोर ,खोखले,व टूटे हुए होते हैं, इसलिए दूसरों का मजाक बनाते फिरते हैं “ ।
मजाक बनाते उनको लगता वो खुद बड़े हो गये है या बड़े बन गये है यह सब करना उनकी सोच को दर्शाता है ।अगर वो अच्छे होते तो शालीनता से बात करते प्रोत्साहित करते। रमा बेटा ….
जब अमिताभ बच्चन फिल्मी दुनिया में आये थे न, उनका खूब मजाक बनाया गया था,उनका दुबला पतला शरीर लम्बी कद काठी पर सब हंसे थे । लेकिन बाद में वही सबके प्रिय बन गये थे।, “स्टार आफ द मिलेनियम” की उपाधि से नवाजे गये और फिर वह अवार्ड्स के शहंशाह कहलाये।
इसलिए ऐसे लोगो की बात पर ध्यान नहीं देना चाहिए। ऐसे लोग चापलूसों की झूठी तारीफ सुन सुनकर खुद खुशफहमी और झूठा अहम् पाले रहते हैं। हमको खुद से संतुष्ट रहना चाहिए।
काश !तुम्हारी जगह मैं होती ।। – अंजना ठाकुर : Moral Stories in Hindi
अब पार्टी का माहौल बदल चुका था सभी सहमती असहमति पर चर्चा करने लगे । मजाक उड़ानें वाली सहेलियों के झुंड को अपनी गलतियों का अहसास हुआ बबीता ने रमा से क्षमा मांगी आगे से ऐसा ना करने की कसम खाई । रमा भी समझ चुकी थी ऐसे लोगों की आलोचना पर ध्यान नहीं देना चाहिए और कोई हमें तब तक नीचा नहीं दिखा सकता जब तक हम स्वयं सहमति ना दें ।
कहानी का सकारात्मक पक्ष हम वह नहीं जो हमें दूसरे लोग बताते हैं। बल्कि हम वह है जिसे हम पहचानते हैं….ओरों से बेहतर, औरों से गुणवान औरो से श्रेष्ठ। अपने अच्छे छुपे गुणों को पहचानकर, व्यर्थ की आलोचना पर ध्यान नहीं देना खुद को बेहतर बनाना सफल जिंदगी का मकसद है।
लेखिका डॉ बीना कुण्डलिया
22.1.2025