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घमंड हमेशा हार दिलाता है
एक मूर्तिकार था
जिसकी शोहरत देश
विदेश में थी।
वह ऐसी सजीव मूर्तियां बनाता था

जो बिल्कुल असली लगती थीं।
उसे इस बात का घमंड था।
जब मूर्तिकार को लगा कि उसकी मौत नजदीक है

तो उसने यमदूतों को भ्रमित करने के लिए
हू-बू-हू अपने जैसी दिखने वाली
11 मूर्तियां बनाई

और उनके बीच जाकर बैठ गया।
 जब यमदूत उसे लेने आया
तो पहचान नहीं पाया
कि इनमें से असली इंसान कौन है?
 उसने सोचा कि अगर मूर्तिकार के प्राण न लिए तो सृष्टि का नियम टूटेगा
और मूर्तियों को तोड़ा तो कला का अपमान होगा।
 फिर उसे एक तरकीब सूझी। उसने कहा,
‘काश’ ये मूर्तियां बनाने वाला मिलता

तो मैं बताता कि मूर्तियां तो सुंदर हैं,
लेकिन इनमें कुछ गलतियां हैं।यह सुनते ही


मूर्तिकार का घमंड जाग गया।
वह उठकर बोला, ‘मेरी कला में कोई गलती हो ही नहीं सकती,
मैंने जीवनभर मूर्तियां बनाई हैं।

यमदूत ने झट से उसका हाथ पकड़ लिया
और बोला, ‘बस यही गलती कर गए तुम अपने घमंड में
कि बेजान मूर्तियां बोला नहीं करतीं।

सीख : किसी काम में कितनी ही महारत
हासिल हो,
लेकिन उसका घमंड उसके महत्व को खत्म कर देता है।

एक बार एक केकड़ा समुद्र किनारे अपनी मस्ती में चला जा रहा था
और बीच बीच में रुक रुक कर

अपने पैरों के
निशान देख कर खुश होता।
 आगे बढ़ता पैरों के निशान देखता
उससे बनी डिज़ाइन देखकर और खुश होता
 इतने में एक लहर आयी और
उसके पैरों के सब निशान मिट गये।

इस पर केकड़े को बड़ा गुस्सा आया
 उसने लहर से बोला , “ए” लहर मैं तो तुझे अपना मित्र मानता
था

इस पर केकड़े को बड़ा गुस्सा आया
 उसने लहर से बोला , “ए” लहर मैं तो तुझे अपना मित्र मानता
था

पर ये तूने क्या किया
 मेरे बनाये सुंदर पैरों के निशानों को ही
मिटा दिया
कैसी दोस्त हो तुम ।
तब लहर बोली,
वो देखो पीछे से मछुआरे लोग पैरों के निशान देख कर
ही तो केकड़ों को पकड़ रहे हैं
हे मित्र!
 तुमको वो पकड़ न लें , बस इसीलिए मैंने निशान मिटा दिए।
सच यही है कई बार हम सामने वाले की बातों को समझ नहीं पाते
और अपनी सोच अनुसार उसे गलत समझ लेते हैं
जबकि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं।
अतः मन में वैर लाने से बेहतर है
कि हम सोच समझ कर
निष्कर्ष निकालें !

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