हीरे की कनी – सरिता गर्ग ‘सरि’ : Moral Stories in Hindi
Post View 790 अधरों पर निर्झर सी मुस्कान भरे, चंचल हिरणी सी कुलांचे भरती ,कौन जाने कब,कहाँ से प्रकट हो जाती और सब उसे देखते रह जाते। जाने कैसा वशीकरण था उन आँखों में , सीधी दिल में उतर जाती और उसके आकर्षण में बंधे सब उसके गुलाम हो जाते। वह झरनों का संगीत थी … Continue reading हीरे की कनी – सरिता गर्ग ‘सरि’ : Moral Stories in Hindi
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