*हरि* – मुकुन्द लाल : Moral Stories in Hindi

Post Views: 4    सन्नाटे ने लीला के बढ़ते कदम को रुकने के लिए विवश कर दिया। ज्योंही वह अपनी कोठरी से बाहर निकली सुबह पौ फटते ही वह  कुम्हला उठी । उसने अपनी पैनी दृष्टि इधर-उधर दौड़ाई।अचानक उसकी नजर टकरा गई  छप्पर से लटकते पिंजड़े से उसका दिल धक् से रह गया।पिंजड़ा खाली पड़ा था … Continue reading *हरि* – मुकुन्द लाल : Moral Stories in Hindi