माँ मुझे यहाँ से अपने पास बुला लो। यहाँ कुछ भी ठीक नहीं है।”- साधना
सविता ने सुबह उठते ही जब साधना का यह मैसेज देखा तो सन्न रह गयी। वह भी अननोन नम्बर से। शायद अपने पति अभिषेक के फोन से साधना ने किया होगा।उसने विनोद जी को जगाया। वह भी मेसेज देखकर परेशान हो गया। अभी-अभी तो उनलोगों ने अपनी एकलौती बिटिया की शादी को मुश्किल से एक महीने ही गुजरे थे। क्या हो रहा है उसके साथ। उसने फोन के कर मेसेज क्यों किया? कई सारे प्रश्न उनके मन में उमड़ रहे थे।
विनोद जी ने बिटिया के ससुर को फोन करके हालचाल पूछा तो उन्होंने सब ठीक बताया। विनोद जी का मन आशंकित होने लगा। उसको अपनी भतीजी मीनू की याद आ गयी। दो साल पूर्व उसकी शादी हुई थी। उसके ससुराल वाले शुरू से ही मीनू को नापसंद करते थे। गेंहुआ रंग की मीनू को कभी रंग को लेकर तो कभी लेंन-देंन को लेकर फब्तियां कसते रहते। पति सीधे मुंह उससे बात न करता था। घर में बस काम करने वाली की हैसियत थी उसकी। बाद में जब वह अपने साथ हुए ज्यादती का विरोध करती तो उसे पति पिटता भी था। उसने कई बार अपने पापा – मम्मी को अपनी समस्या बताती थी। और वापस ससुराल न जाने की जिद करती तो विनोद जी के भैया -भाभी उसे समझा-बुझाकर वापस ससुराल भेज देते थे।
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उसबार जब वह ससुराल गयी तो उसे पति अपने कमरे तक में प्रवेश से मना करता। एक दिन उसने सुना कि वो लोग पति की दूसरी शादी की मंशा रखते हैं। सचमुच एकदिन कुछलोग अपनी लड़की को लेकर वहां आये। वह जानबूझकर उनके सामने जाकर अपने पति के विवाहित होने की बात बताई। उनके जाने बाद तो उसपर कयामत आ गयी। उसे खूब मारा पीटा गया। और शायद इंटरनल हेमरेज की उसकी मृत्यु हो गयी। उन्होंने सबको यही कहा कि सीढ़ियों से गिरकर चोट आने की वजह से उसकी जान चली गयी। विनोद जी के सामने मीनू का चेहरा बार-बार सामने आ जा रहा था। जैसे कह रही हो-“चाचाजी! दीदी को बचा लो।”
मीनू साधना से छोटी थी। दिनभर बेचैनी में समय बीता। शाम को उनके फोन पर एक ऑडियो क्लिप आया जिसमे किसी आदमी की आवाज थी जो कुछ गली-गलौज जैसा कर रहा था। लड़खड़ाती सी आवाज थी। अस्पष्ट सी आवाज। वह भी उसी नंबर से था जिससे मेसेज आया था। साधना के मम्मी पापा को यह भान हो गया कि उनकी बेटी के साथ कुछ तो गड़बड़ चल रहा है। वह कॉल करने में असक्षम है। अगले ही दिन साधना के पापा-मम्मी व ताऊजी उसके ससुराल पहुंचे। वहाँ पर वो अपने बिरादरी समाज के कुछ लोगों को लेकर पहुंचे थे।
सबके सामने बिटिया को बुलवाया गया। सामने आते ही अपनी मां से लिपटकर रोने लगी। उसकी आँखों में भय व्याप्त था। उसने डर और झिझक के साथ सारी बात बताई। उसने बताया कि पति अभिषेक नशे में उसके साथ दुर्व्यवहार करते हैं। साथ ही उसे जबरदस्ती शराब पिलाते हैं। वो इतने बदमिजाज हैं कि अपने माता-पिता को को भी गाली देते हैं। किसी की नहीं सुनते। सिरफिरा इंसान है वह। उससे उसका फोन तक छीन लिया था। जब वह नशे में था तो वह उसका फोन लेकर बाथरूम में जाकर मेसेज करती थी। एक दिन उसे पता चल गया तो बाथरूम के बाहर से ही गालियां बकना शुरू कर दिया। जिसे उसने रिकॉर्ड करके भेजकर डिलीट कर दिया था।
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साधना के ससुर उसे रोज रात को दूध अपने हाथों से पीने के लिए देते थे। जो साधना को अटपटा लगा। पता नहीं क्या साजिश वो कर रहे थे, वह न समझ सकी। तो अगले दिन से वह उसे चुपके से फेंक देती थी। विनोद जी यह सब सुनने के बाद एक पल को भी अपनी बेटी वहां न रहने देना चाहते थे। वो उसे वापस ले जाने की बात उसके ससुर को कहा। और साधना को वहां कभी न वापस भेजने का निर्णय लेकर चल दिये।
साधना को अपने घर आने के बाद महीनों लग गए थे उस दहशत को भूलने में। वह रात को चौक कर उठ जाती थी। विनोद जी को मन ही मन बिटिया की स्थिति देख बहुत दुखी होता था। उन्हें इस बात को लेकर बेहद अफसोस हो रहा जब बिटिया ने उन्हें फैशन डिजाइनिंग का कोर्स करने कहा तो उन्होंने विवाह के बाद करने को कहा था। उन्होंने साधना को फ़ैशन डिजाइनिंग के कोर्स में एड्मिशन दिला दिया। आज साधना आत्मविश्वास से भरपूर अच्छी डिजाइनरों में गिनी जाती है।
— डॉ उर्मिला शर्मा