हर बार विरोध करना ज़रूरी है क्या..? – रश्मि प्रकाश 

‘‘हमेशा जवाब देना भी अच्छा नहीं होता पलक , मैं ये नहीं कह रही कि तुम चुप ही रहो पर बेटा समय देख कर बोलो तो बात का वजनरहता ,और एक चुप्पी बहुत बार सौ बातों पर भारी पड़ जाता।‘‘रत्ना जी अपनी बहू को समझाती हुई बोली

‘‘ पर माँ गलती तो भईया की ही थी ना फिर भी तुम भाभी को चुप रहने का इशारा क्यों कर रही थी?‘‘पास बैठी  महक अपनी माँ कोबोलने लगी।

‘‘मम्मी जी आपने मुझे चुप रहने का इशारा किया ,इसलिए कुछ नहीं बोली पर आपने भी देखा ना मनय की ही गलती थी फिर भी मुझपर गुस्सा करने लगा। कल शाम से आदि(4) के कान में दर्द हो रहा कॉल कर के बताया उसको की डॉक्टर का अपाइंटमेंट लेते आना,दिखा देंगे पर भूल गया। अब रात को आदि कराह रहा था तो मुझे ही दोषी ठहरा रहा कैसी माँ हो ?ये नहीं कि जाकर डॉक्टर कोदिखा दो….बताईए मम्मी जी अब सुबह भी यही बोलने लगा कोई दवा नहीं रखती हो ….रात भर ना आदि चैन से सोया ना मैं ….उपरसे मनय की नींद भी पूरी नहीं हुई। दिखा देता तो कम से कम आदि चैन से तो सोता।‘‘

‘‘ पलक ये स्वभाव ना बिल्कुल इसके पापा के जैसा है बेटा….इसलिए तुम्हें चुप रहने बोली….मैं जानती हूँ उसकी गलती है डॉक्टरपास में होते तो हम दोनों ही जाकर दिखा लाते…पर देखना वो खुद ही तुमको फोन करेगा बस तुम अब कुछ मत बोलना…आदि केपास जाओ और तुम दोनो डॉक्टर के पास जाने के लिए तैयार हो जाओ।‘‘रत्ना जी ने पलक को कहा और वही सोफे पर बैठ गई।

रत्ना जी याद करने लगी ऐसे ही एक बार महक गिर गई थी तब मोबाइल फोन नहीं होते थे…उनके पति विनय बाबू ऑफिस से आएतो वो बोली महक गिर गई है उसके पैर में चोट लगी है…चल कर डॉक्टर को दिखा देते हैं…विनय बाबू तुरंत डॉक्टर का पता करनेनिकल गए पर ये क्या एक दो घंटे तक नहीं लौटे तो रत्ना जी खुद ही महक को दिखाने निकल पड़ी…आगे गई तो देखती है विनय बाबू  पास ही अपने दोस्त से बातें करने में मशरुफ है….उनको देखते दोस्त ने बोला,‘‘ नमस्ते भाभी जी ,ये महक को लेकर कहॉं जा रहीहै?”




‘‘ भाई साहब महक गिर गई है चोट लगी है बस वही डॉक्टर को दिखाने था रही।‘‘रत्ना जी ने विनय बाबू को नजरंदाज करते हुए कहा

तभी दोस्त ने बोला,‘‘ क्या विनय बेटी को चोट लगी है और तुझे पता भी नहीं है….जा भाभी के साथ।‘‘

विनय बाबू जल्दी से रत्ना जी के पास आये और नजरें झुका कर बोले ,‘‘रत्ना माफ कर देना…मैं डॉक्टर के पास ही जा रहा था पर येरमन मिल गया फिर मेरे दिमाग से बात निकल गई….तुम चाहती तो रमन के सामने मुझपर चिल्ला सकती थी ,पर तुम्हारी चुप्पी नेजता दिया कि तुम दूसरों के सामने मेरा कितना मान करती हो।‘‘

जब डॉक्टर के पास गए तो पता चला हल्की चोट है सिकाई और दवा से ठीक हो जायेगी।बस ज्यादा देर करते तो ज्यादा सूजन आसकती थी। वक्त पर दिखा देने से बात नहीं बिगड़ी पर उसके बाद से विनय बाबू बच्चों के प्रति जिम्मेदार ज्यादा हो गए थे।

‘‘माँ , माँ झकझोरते हुए महक ने रत्ना जी को उनकी यादों के झरोखे से वर्तमान में ला दिया…कहाँ खो गई हो, कब से भईया तुम्हेंकॉल कर रहे ,उठाई नहीं तो मुझे कॉल किया, लो बात करो।”कह कर महक ने फोन रत्ना जी को दे दिया

‘‘हैलो माँ , आप पलक को बोल दीजिए आदि को लेकर तैयार रहे…मैं बस घर आ रहा हूं डॉक्टर के पास जाना है, और हां माँ प्लीज़आप मुझे माफ कर देना…पता है गलती मेरी है काम के चक्कर में मैं भूल गया था और बेवजह पलक पर गुस्सा करने लगा।‘‘




‘‘ ये बात तुम पलक को बोलो मुझे क्यों बोल रहे?‘‘रत्ना जी ने कहा 

‘‘ वो फोन नहीं उठा रही माँ।‘‘मनय ने कहा 

रत्ना जी पलक को देखकर बोली,‘‘मनय जो भी तुमने बोला है ना वो सब पलक ने सुन लिया मैंने स्पीकर ऑन कर दिया था…मुझेपता था बेटा पलक की चुप्पी तुम्हें सब समझा देगी…आगे से ध्यान रखना बच्चे दोनों के है तो जिम्मेदारी भी साथ ही उठानी होगी।‘‘

‘‘हाँ मॉं , समझ गया…पलक माफ़ करदो यार…और घर के बाहर आ जाओ इंतजार कर रहा हूं।‘‘ कह कर मनय ने फोन काट दिया

पलक रत्ना जी को देखी और बोली ,“थैंक्यू मम्मी जी आज मेरे जवाब न देने से मनय को एहसास हो गया कि गलती उसकी थी। ”कहकर पलक आदि को लेकर निकल गई।

रत्ना जी भी खुश हो गई और महक जो हमेशा ग़लत का विरोध करती रहती थी समझ गई कि हर बार विरोध करने से बात सुलझने कीजगह बिगड़ भी सकती हैं… जहाँ ज़रूरत हो विरोध भी करना चाहिए पर बेवजह नहीं… कभी-कभी चुप्पी भी विरोध का ही एक रूपहोता है इसलिए अपनी शादी के बाद कभी कभी वो भी जवाब देने से बचेगी।

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धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

# विरोध 

 

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