हक़ – विनय कुमार मिश्रा

Post Views: 7 मैंने ताई के घर की तरफ देखा। ताई नहीं थी।मैंने चैन की सांस ली। जब कभी मुझे बाहर निकलते देखती हैं।उन्हें कुछ ना कुछ बाजार से मंगाना ही होता है।कभी सब्जी, कभी दवा तो कभी दूध।तंग आ गया हूँ उनसे।जी तो चाहता है कभी सुना दूं कि खुद के बेटे को बाहर … Continue reading  हक़ – विनय कुमार मिश्रा