गुरुर… किस बात का – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

क्या रानू दीदी… पूरे 1 साल बाद गर्मियों की छुट्टियों में बच्चों के साथ आई हो  और कह रही हो बस चार-पांच दिनों के लिए ही आई हूं, तुम्हारे जीजाजी को खाने की परेशानी हो  जाती है, इस बार  मैं कुछ नहीं सुनने वाला और हां आज दोपहर में तैयार रहना हम सब वाटर पार्क चलेंगे

और फिर वहीं से डिनर करते हुए घर आएंगे! वाह.. मामा जी  आप वर्ल्ड के बेस्ट मामा हो, रजत की बातें सुनकर रानू के दोनों बच्चे खुशी से उछलने लगे! रजत का अपने भांजा भांजी से विशेष लगाव था, रानू पूरे 1 साल बाद अपने पीहर  आई थी क्योंकि बच्चों ने छुट्टियां आते ही मामा के यहां चलने की जिद्द मचा दी,

पिछले साल ,जब से मम्मी पापा गुजरे हैं रानू का  मन भी यहां आने को नहीं करता, ऐसा नहीं है कि भैया भाभी अच्छे नहीं है पर घर में चारों तरफ मां बाबूजी की यादें बसी हुई है और रानू दीदी बहुत ही भावुक किस्म की हैं और रजत की शादी को तो अभी वैसे भी 2 साल ही हुए हैं, रानू ने भी घूमने जाने के लिए हां कर दी!

थोड़ी देर बाद रानू रसोई में चाय बनाने के लिए गई तब उसने सुना उसकी भाभी मिताली, रजत से कह रही थी…. रजत.. तुम्हें पता भी है वाटर पार्क का टिकट ₹800 का है, अगर ऐसे ही तुम हर एक पर ऐसे पैसे लूटाते रहे तो हो गया कल्याण! अरे रानू दीदी की आर्थिक स्थिति सही नहीं है तो इसमें हमारी गलती है क्या?

जब देखो बच्चों के लिए कभी कपड़े लाते हो कभी दीदी के लिए साड़ियां सूट लाते रहते हो, कभी कहीं घूमाना कभी कहीं घूमाना! मुझे यह सब  सहन नहीं होता, तुम्हारा इतना खर्चा करना ठीक नहीं है और वैसे भी मां-बाप के नहीं रहने पर बहने अपने भाई के यहां पर एक-दो दिन ही अच्छी लगती हैं, मिताली की बातें सुनकर रजत से चुप नहीं रहा गया

और वह जोर से चिल्लाते हुए बोला.. बस चुप हो जाओ मिताली, किस बात का गुरुर है तुम्हें, ? इस बात का कि तुम्हारा  पति बहुत अच्छा कमाता है, और तुम भी एक बड़े घर की बेटी हो, तो यह मत भूलो कि मेरी बहन भी कोई छोटे-मोटे घर की नहीं है, अगर तुम्हारा पति लाखों कमाता है तो दीदी का भाई भी लाखों कमाता है, जितना हक तुम्हारा मुझ पर है

उससे कहीं ज्यादा मेरी बहन का है, तुम्हें तो अभी आए हुए सिर्फ दो ही साल हुए हैं लेकिन मेरी बहन के पास पूरे 25 साल रहा हूं, तुम्हें पता है मेरी मां अक्सर बीमार रहा करती थी और दीदी ने मुझे भाई नहीं बल्कि अपना बच्चा समझ कर पाला है, यह तो कुछ भी नहीं है, अगर मेरी बहन मेरे खून का एक कतरा भी मांगे तो अभी मैं हंसते-हंसते उस पर न्योछावर कर दूंगा,

तुम्हें अपने मायके वालों पर बहुत गुरूर है ना.. किंतु पिछली बार तुम्हारी भाभी ने थोड़े से खर्चे के पीछे घर में हंगामा किया था, क्या तुम भूल गई? क्या तुम अपने भाई से यह आशा नहीं करती कि जब तुम अपने मायके जाओ तुम्हारे भाई भाभी तुम्हारी अच्छे से आवभगत करें, तुम्हें पूरा सम्मान दें,

तुम्हें याद है तुमने एक बार कहा था कि तुम्हारी भाभी ने तुम्हारे भाई को तुम्हारे ऊपर खर्च करने से मना कर दिया था और वही बात तुम यहां पर आकर दोहरा रही हो, मेरी दीदी भी बहुत अच्छे परिवार में गई थी, किंतु 5 साल पहले जीजा जी को बिजनेस में घाटा हो गया जिसकी भरपाई अब धीरे-धीरे हो रही है

, और जीजा जी इतने स्वाभिमानी है कि वह मुझसे किसी भी तरह की मदद नहीं लेना चाहते, किंतु हमें पैसे पर गुरुर नहीं करना चाहिए आज है कल नहीं है, अगर मेरी दीदी भी इसी प्रकार अपने पैसे का गुरुर करती तो आज मैं इतना बड़ा आदमी नहीं बन पाता, मेरी दीदी और जीजा जी ने हमेशा मेरा साथ दिया है

और अब जब उनकी स्थिति ऐसी है तो मैं उनके ऊपर इतना सा भी खर्च ना करूं ,मुझे शर्म आती है  तुम्हारी सोच पर, मैंने क्या समझ कर तुमसे प्रेम विवाह किया था, मुझे लगा था तुम्हारी सोच तो बहुत अच्छी है, पर तुम्हारी सोच तो बहुत ही घटिया निकली! आज तुमने मेरी मां समान दीदी का नहीं बल्कि मेरा अनादर किया है!

रजत की बातें सुनकर मिताली को बहुत पश्चाताप हुआ और वह रोने लगी और कहने लगी… तुम सही कह रहे हो रजत, मुझे मेरी गलती का एहसास हो गया है, कितनी स्वार्थी हो गई थी मैं,  कितना बड़ा कदम उठाने जा रही थी ,तुमने मुझे अपनी बहन के बारे में सब कुछ पहले ही बता दिया था फिर मैं क्यों भूल गई बल्कि मुझे तो उनकी सहायता करनी चाहिए

ना कि उनका इस तरह का अनादर! मिताली… अगर तुम्हें सच में पश्चाताप हो रहा है तो माफी मुझ से नहीं दीदी से जाकर मांगो! थोड़ी देर बाद मिताली रानू दीदी के पास गई, रानू दीदी ऐसे बैठी थी जैसे उन्होंने कुछ सुना ही  ना हो, तब मिताली रोते हुए बोली, दीदी.. आपके प्रति मेरे मन में बहुत गलत विचार आ रहे थे, पर अब मैं समझ गई हूं गुरुर चाहे किसी भी चीज का हो,

सुंदरता का शिक्षा का या पैसे का, कभी नहीं करना चाहिए! यह सब तो नश्वर है, आज है कल नहीं है! दीदी आप अपनी भाभी को माफ करेंगे या नहीं? तब दीदी बोली अरे मिताली… किस बात की माफी.? क्या हो गया.? और तुम ऐसे क्यों कह रही हो? मेरे लिए तो जैसा रजत वैसी ही  तुम और हां वाटर पार्क नहीं चलना क्या.? जल्दी से तैयार हो जाओ,

आज हम सब वाटर पार्क चलेंगे, दीदी की बातें सुनकर मिताली भी हंसते हुए बोली, हां दीदी ….और आते समय हम सिटी मॉल भी होकर आएंगे वहां बच्चों की सुंदर-सुंदर ड्रेस मिलती हैं दीदी आप बच्चों की सारी शॉपिंग वहीं से करना और हम दोनों नंद भाभी आज रजत को खूब अच्छे से लूटेंगे और ऐसा कहते हुए दोनों ननंद भाभी हंसते-हंसते घर का काम निपटाने में लग गई!

  हेमलता गुप्ता स्वरचित 

  कहानी प्रतियोगिता (गुरुर)

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