घुटन – नीना महाजन नीर

Post View 256  शाम का समय ठंडी हवाएं और सर्दी का मौसम …        सब ओर शीतलता पर भीतर की उष्णता से मैं त्रस्त हो चुकी थी ।           मैं कहां से कहां पहुंच चुकी थी.. मैं क्यों मर्यादा सीमा में नहीं रह पाई …        ख़ुद से ही लज्जित हो रही थी मैं..!             अब तो उम्र का … Continue reading घुटन – नीना महाजन नीर