घर की इज्जत – कमलेश आहूजा : Moral Stories in Hindi

सरिता वैसे स्वभाव से बहुत अच्छी थी बस उसकी एक ही बुरी आदत थी कि वो हर किसी के व्यक्तिगत मामलों में दखलंदाजी करती थी(चाहे वो रिश्तेदार हों या फिर अड़ोसी पड़ोसी)जैसे-बच्चे घर का काम क्यों नहीं करते?बेटियों को ज्यादा देर तक घर से बाहर नहीं रहना चाहिए,बहुओं को ज्यादा छूट नहीं देनी चाहिए..वगैरह वगैरह..!!!
कई बार लोगों को सरिता की बातों से एतराज होता था पर उम्र में बड़ी होने के कारण उसे कोई कुछ नहीं कहता।लेकिन उसके बेटे महेश से उसकी शिकायत करते थे कि वो अपनी माँ को समझा ले उनके घर में ज्यादा दखलंदाजी नहीं किया करें।

महेश सरिता को समझाता तो वो यही कहती,कि ठीक है अब से किसी को कुछ नहीं कहूँगी लेकिन आदत से लाचार सरिता फिर किसी ना किसी के घर में कोई न कोई कांड कर ही आती।

रविवार का दिन था महेश नाश्ता करके सब्जी लेने निकल गया और सरिता कामवाली के साथ घर के कामों में व्यस्त हो गई क्योंकि उसकी बहु मायके गई हुई थी।कुछ देर बाद घंटी बजी तो कामवाली ने दरवाजा खोला।गुस्से से लाल पीला महेश अंदर आया और चिल्लाने लगा..

“माँ,कहाँ हो आप?”

“अरे क्यों चिल्ला रहा है सुबह सुबह बोल क्या बात है?”सरिता रसोई से बाहर आते हुए बोली।

“कल आप अजीत के घर गईं थी?”

“हाँ,गई थी बोल?वो तेरा दोस्त है तो क्या,उसकी माँ मेरी भी तो सहेली है।”

 “अजीत की पत्नी के लिए क्या बोलकर आईं थीं?”

“क्यों,क्या हो गया?”

“ये पूछो क्या नहीं हुआ?”

“अरे बताएगा भी या पहेलियाँ ही बुझाता रहेगा।”सरिता चिंतित होकर बोली

“आज मैं जब सब्जी खरीद रहा था,तो अजीत मिल गया।मैंने हेलो कहा, तो उसने कोई जवाब नहीं दिया।फिर जब मैंने पूछा,कि क्या नाराज़गी है?तब वो बोला-“अरे यार कल तुम्हारी माँ हमारे घर आकर सास बहु में झगड़ा करवा गईं।नौबत यहाँ तक आ गई कि मेरी पत्नी माँ से अलग होने को कह रही है।अब तू ही बता इस उम्र में माँ को अकेला कहाँ छोडूं?ना वो माँ से मेरी पत्नी की बुराई करतीं ना पत्नी भड़कती।उसने तो आगे पीछे की सारी कसर निकाल दी।मेरी माँ को ही दोषी ठहरा दिया।उसे लगता है कि सास सबसे मेरी बुराई करती रहती है।”

“अरे बेटा,सुधा की तबियत ठीक नहीं थी वो चाय की जिद्द कर रह थी।मैने मना भी किया पर वो नहीं मानी और रसोई में चली गई।मैं भी उसकी मदद के लिए रसोई में चली गई।वो बेचारी तो कुछ नहीं बोली।पर जब मैंने देखा,कि उसकी बहु फोन पर बतिया रही है और मेरी सहेली बुखार में भी काम कर रही है तो मुझसे रहा नहीं गया।

मैने सुधा को बोला,कि तूने अपनी बहु को बहुत सर चढ़ा रखा है खुद ही सारे काम करती रहती है।बहुओं को इतनी छूट नहीं देनी चाहिए।इतने में उसकी बहु रसोई में आ गई उसने मेरी बात सुन ली और सास पर गुस्सा करने लगी।बस यही बात हुई थी।”

“माँ याद है जब रिया की किट्टी पार्टी थी,तो उसकी सहेलियाँ रसोई में उसकी मदद कर रहीं थी।बातें करते करते किसी एक ने आपके लिए रिया से कुछ कह दिया था तब आप भी रसोई में पहुँच गईं थीं आपने उस सहेली की बात सुन ली थी।उस दिन आप रिया की सहेली पर कितना भड़की थीं..

कि इस तरह सास की बुराई बहु से करके हमारे परिवार की एकता को तोड़ने की कोशिश कभी मत करना।और आज खुद ही किसी के परिवार की एकता को तोड़ आईं।आपको पता है ना रिया अजीत की पत्नी की अच्छी दोस्त है जब वो मायके से लौटकर आएगी और उसे इस बात का पता चलेगा तो वो क्या सोचेगी?”

“हम्म,मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो क्या सोचेगी?”सरिता अकड़ते हुए बोली

“पर माँ मुझे तो फर्क पड़ता हैं ना।कल को रिया सबसे यही कहती फिरेगी..मेरी सास दूसरों को गलत काम करने से मना करती है और खुद वही काम करती है।माँ मुझे आपकी परवाह है,मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ।मैं नहीं चाहता कि सब लोग आपको बुरा कहें इसलिए आपको समझाता रहता हूँ,

कि दूसरों के मामलों में टाँग ना अड़ाया करो।अपने से मतलब रखा करो।आप हो कि बाज नहीं आती।उस दिन आपने अपने घर में क्लेश कर दिया था और आज दूसरों के घर में क्लेश करवा आईं।आपकी इस आदत से मुझे सबके सामने शर्मिंदा होना पड़ता है।छोड़ दो इस बुरी आदत को,नहीं तो किसी दिन लेने के देने पड़ जाएंगे।काश ! पापा होते तो मुझे ये तकलीफ अकेले नहीं उठानी पड़ती।”कहते कहते महेश रूआंसा हो गया।

बेटे की बात सुनकर सरिता की आँखों में आँसूं आ गए।उसने कसम खा ली कि अबसे वो किसी के मामले में भी टाँग नहीं अड़ाएगी चाहे कुछ भी हो जाए।

घर की इज्जत को बनाए रखने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी माता पिता की होती है क्योंकि वही अगर गलत करेंगे तो फिर बच्चे क्या सीखेंगे?क्योंकि अक्सर बच्चे अपने माता पिता का ही अनुसरण करते हैं।

कमलेश आहूजा

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