Post View 381 आज नींद कोसों दूर थी आँखों से,,गिनती भी गिन ली, सरहाना भी बदल लिया पर न जाने कहाँ कहाँ के ख्याल आ जाते और फिर नींद उड़ जाती कल्पनाओं के देश में। इसी उहापोह में भोर होने को आई और थक हार कर नींद भी बोझिल पलकों में समा ही गई। एक … Continue reading गणिका और सन्यासी – कमलेश राणा
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