गलती किसकी – ऋतु अग्रवाल

Post View 32,557 रात के 12:00 बज रहे थे। अचानक से निहारिका की आँख खुली। पानी पीकर फ्रेश होने चली तो माँ बाबूजी के कमरे की लाइट जल रही थी। दरवाजे के पार से आवाजें आ रही थी।  “कौशल्या, मैं कह रहा हूँ, तुम अपने मायके नहीं जाओगी। कभी नहीं का मतलब कभी नहीं।” बाबूजी … Continue reading   गलती किसकी – ऋतु अग्रवाल