Post View 381 उसकी गोद मे खूबसूरत हैन्डराइटिंग मे लिखा पत्र खुला पड़ा था जिसे वो एक घंटे मे कमसेकम बीस बार पढ़ चुकी थी…उसकी पलकों की लम्बी खूबसूरत बरौनियाँ आँसुओं से तर थीं पर पुतलियाँ थीं कि उस कागज़ के टुकड़े से हटने का नाम ही नहीं ले रही थीं।मात्र एक ग़लतफ़हमी ने क्या … Continue reading “ग़लतफ़हमी” – मंजू सक्सेना
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