गलतफहमी – अर्चना सिंह

सुहानी पार्क में चहल कदमी करते हुए छवि का इंतज़ार कर ही रही थी कि उसकी सहेलियों का झुंड उसके पीछे खड़ा हो गया । सबको शुभ होम्स सोसायटी में रहते हुए लगभग सात साल हो गए थे पर इधर जरा पाँच सहेलियों के बीच इन दिनों काफी मनमुटाव सा चल रहा था । कारण..इसी मोहल्ले में आई हुई छवि थी जो अभी छह महीने पहले ही सोसायटी में शिफ्ट की थी और अपनी मीठी बोली से सब दोस्तों के अंदर कड़वाहट का बीज बो रही थी ।

दिशा, पूर्वा, शिप्रा, तूलिका अपनी सहेलियों को देखकर थोड़ी देर के लिए हैरान हुई सुहानी। और फीका सा मुँह बनाकर आगे बढ़ गयी । शिप्रा ने सबसे कहा…”देखा तुमलोगों ने सुहानी की हरकत ? इतनी अच्छी दोस्ती थी हमारी, पता नहीं अचानक इसे क्या हो गया ? कारण क्या हो सकता है मुँह फेरने का, हमे भी तो पता होना चाहिए ।

सबने हाँ में हाँ मिलाया लेकिन इसी दौरान दिशा बोल पड़ी…”कहीं हमारी दोस्ती में खटास की वजह छवि तो नहीं है, आजकल बहुत समय खर्च कर रही है सुहानी छवि के पीछे । दिशा की बात खत्म होते ही शिप्रा बोलने लगी..”सुहानी बहुत कान की कच्ची है पता नहीं कौन सी बात उसे बुरी लगी हो । खैर…,जो भी हो , इतना तो हमारा फर्ज बनता है कि हमारी दोस्त रूठी हो तो एक बार वजह जान सकें । तूलिका ने सीट पर बैठकर अंगड़ाई लेते हुए कहा…”मुझे लग रहा है जब सामने वाले को दिलचस्पी नहीं तो उसके पीछे क्यों भागना..? 

शिप्रा ने तूलिका की बात काटते हुए कहा…”यार ! ऐसे तो हमारी दोस्ती कभी नहीं चलने वाली , बात दिलचस्पी की नहीं है । अगर वो हमसे दूर जा रही है तो क्या हम बिना वजह जाने उसे खुद से दूर कर देंगे ? अगर उसे नहीं मानना है तो बेशक न माने पर हम सहेली होने के नाते एक बार कोशिश तो कर ही सकते हैं । “बिल्कुल सही बोला शिप्रा ! ऐसा करने से हमारे बीच की पारदर्शिता बनी रहेगी और पुरानी दोस्ती भी कायम रहेगी सबने हाँ में हाँ मिलाकर योजना बनाई और शिप्रा के घर चली आईं ।

शिप्रा ने सुहानी को दो बार फोन मिलाया लेकिन सुहानी नहीं उठाई तो सब साथ मिलकर सुहानी के घर पहुंच गईं । दरवाजा सुहानी का आठ वर्षीय बेटा विहान ने खोला और दौड़कर मम्मी से बोलने गया…”मम्मी ! आंटी लोग आयी हैं । सब बाहर ही पाँच मिनट खड़ी रहीं उसके बाद सुहानी की मम्मी ने ड्राइंग रूम में अंदर आने को कहा ।

फिर अंदर से सुस्ताती हुई सुहानी आयी और बैठने का इशारा किया । फिर सुहानी चाय बनाने चली गयी । दिशा, तूलिका दोनो ने कहा…”सुहानी आ जाओ, हमलोग तुमसे मिलने आए हैं, चाय तो बाद में भी पी लेंगे । जब सुहानी नहीं मानी तो झुंड रसोई में आकर खड़ी हो गयी । सबने वहीं बारी – बारी से बोलना शुरू कर दिया…”तुम कितनी बदल गयी हो सुहानी ! याद है हमारे बीच तय हुआ था हम बदलेंगे नहीं हमारी दोस्ती कभी खत्म नहीं होगी, कोई आए जाए हमारी दोस्ती पर फर्क नहीं पड़ेगा ।कुछ याद है तुम्हें, या याद दिलाऊँ ? 

सुहानी बुत बनकर चाय को उबलते देख खड़ी रही । पूर्वा ने सुहानी के गले में बाहें डालते हुए कहा…”जो भी बात है शेयर करो न यार प्लीज ! सब हमारी दोस्ती का मजाक बना रहे हैं क्यों मौका देना, अगर किसी की बात नहीं अच्छी लगे तो खुल के कहो ।

सुहानी ने गले से पूर्वा की बाहें हटाते हुए सिसककर कहा..”यार तुमलोग  ने भी तो पीछे में इतनी बातें बनाई, मुझे दूसरे से पता चला कितना बुरा लगा । मैंने ये सुना दिशा कि तुमने मेरे बारे में किसी से कहा है मैं अपने ससुराल नहीं जाती क्योंकि सास से मेरी पटती नहीं, मेरे पति पैसे तो बहुत कमाते हैं पर मैं बिल्कुल कंजूस हूँ, जी भर के खाती नहीं । तूलिका ने ये कहा कि मैं बहुत लड़ाकू हूँ मेरी किसी से बनती नहीं , बच्चों के जन्मदिन और खुद के सालगिरह की पार्टी में कभी बाहर नहीं जाती, घर के व्यंजन वही छोले पूरी, पनीर आदि बनाती हूँ । 

और ये किसने कहा मुझे ठीक से समझ नहीं आया ।पर ये भी पता चला कि अपने ब्लाउज, फिटिंग खुद करती हूँ , जितने सम्भव हैं उतने पैसे बचाती हूँ  । बोलते – बोलते सुहानी का गला रुंध गया और आवाज़ बदल गयी ।आँखें बिल्कुल सजल हो गईं । 

ये सारी बातें सुनकर सभी अवाक रह गए, खुला ही रह गया सबका मुँह । तभी सुहानी के हाथ से चाय छन्नी लेकर शिप्रा चाय छानकर ड्राइंग रूम में लाकर रखी और सुहानी की मम्मी का हाथ पकड़कर सोफे पर बिठाते हुए बोलने लगी…”आंटी मैं तो दंग हूँ  ये बातें सुहानी के मुँह से सुनकर ।क्योंकि ये हमारे दोस्तों में सबसे सुलझी हुई , शांत गम्भीर और सबको अच्छा सलाह देने वाली लड़की है । आप बड़ी हैं यहाँ आप पास में हैं तो हमारी बातें सुलझाइए ।

सुहानी की मम्मी साड़ी कमर पर बाँधते हुए सोफे पर बैठीं और सुहानी से बोलने लगीं…”बेटा ! ये पहली बार है, बातों को इतना नहीं खींचते, भूल कर आगे बढाओ, अपने जैसा कोई नहीं मिलता यहाँ । जिसे जो सही लगा अपने अनुसार बोला पर तुम्हारे सामने तो किसी का व्यवहार रूखा नहीं है , पीछे में कौन क्या कहता है उससे मतलब मत रखो, हम इंसान है और कोई भी सर्वश्रेष्ठ नही होता । ध्यान से सुनो मेरी बात ! 

कम से कम अपने दोस्तों के लिए तो इतनी #पत्थर दिल मत बनो । तभी बात बीच मे काटते हुए पूर्वा और दिशा ने कहा…आंटी ! इतनी बातें इसने मन मे पाल रखी है, ऐसी तो कोई बात ही नहीं हुई । हमारी दोस्ती इस सोसायटी में बिल्कुल अलग है, हम सब सामने हो या पीछे एक दूसरे के लिए एक ही हैं । ये सारी बात उलट फेर करके किसने तुम्हें बताई ? मैंने तो ये बोला था लिफ्ट में पड़ोसन स्मृति से बातचीत के दौरान कि सुहानी को ससुराल जाने की जरूरत नहीं, उसकी सास हर छः महीने में आ ही जाती हैं ।

सुहानी को देखकर कुछ सीखना चाहिए, पैसे अथाह होने के बाद भी बड़ी सादगी से रहती है । शरीर पर बड़ा ध्यान रखती है, बाहर का खाना जल्दी नहीं खाती कितनी भी थकी हो हल्का- फुल्का घर मे ही बना लेती है, मैं तो उसकी तरह बन ही नहीं सकती । हर चीज में हुनरमंद है, अपने कपड़े भी घर मे तैयार करके पहन लेती है । मुझे तो हर मौके पर दौड़ना पड़ता है ।

हम सब एक साथ ही थे, तभी ये सारी बातें हो रही थीं । सुहानी हर किसी के हक़ के लिए सोचती है , मेरी आदत तो लड़ने की है मैं लड़ जाती हूँ । इतने अरमान से हर त्योहार और जन्मदिन मनाती है , हर प्रकार के व्यंजन घर मे ही फटाफट बना लेती है । तभी विहान ने आकर बोला…”मैं भी वहीं था आंटी ! छवि आंटी ने बताया है ये सब कुछ मम्मी को ।

शिप्रा अपने हाथ से मुँह बंद कर ली ।सुहानी की स्थिति काटो तो खून नहीं जैसी हो गयी थी ।उसे समझने में देर नहीं लगी कि उसके ऊपर ज़बरदस्त गलतफहमी का पर्दा चढ़ गया है । धीरे – धीरे अब उसे समझ आने लगा कि मेरी कौन सी सहेली किस तरह किस भाषा मे और किस तरह की बातें करती है । सारी बातें इस तरह से  आगे परोसी गईं थी कि साफ समझ आ रहा था समूह को सिर्फ तोड़ने का उद्देश्य था । 

अब तूलिका की बारी थी ।तूलिका ने आंटी का मुँह देखते हुए कहा…”बताइए आंटी ! इसे इन सात सालों में हमारे ऊपर भरोसा नहीं हुआ, और छह महीने से आई हुई लड़की पर आँख बंद करके भरोसा हो गया कि वो जो कही इसने बिना हमसे पूछे बिना बात किये मान लिया । बिना किसी से राय विचार लिए तुम अंदर अंदर कुछ भी सोचती रही सुहानी, सबका मन दुःखी कर दिया, चिंता में डाल दिया ।

एक बार तो पूछती , हमने जो आपस मे वादे किए थे वो तो टूट गए ।  अब सुहानी को भी अपनी गलती का एहसास हो रहा था । सुहानी दिशा, तूलिका, शिप्रा, पूर्वा सबके बीच मे चिपककर खूब सिसक कर रोने लगी । तभी  सुहानी के दरवाजे पर छवि आयी ।छवि ने जैसे ही झुंड को देखा वो  अचंभित होकर लपककर जाने लगी । तभी सुहानी ने कहा..”रुको, बुलाती हूँ उसे , अभी सारी बातें पूछती हूँ उससे, सब साफ हो जाएगा ।

दिशा, तूलिका पूर्वा , शिप्रा सब मिलकर सुहानी को बैठाते हुए बोलने लगीं…”बात मत करो, सिर्फ बात बढ़ेगी । बहस करोगी तो फिर अपना मूड सुनने के लिए तैयार रखना । उसे देखकर अनदेखा करो, बातें न करो यही इस बात का ठोस जवाब है । सुहानी ने कान पकड़ कर कहा…”मुझे माफ़ कर दो यार ! मैं बहकावे में आ गयी थी । सब एक दूसरे के गले मिल गईं ।

सुहानी की मम्मी ने अब कहना शुरू किया…”सच पूछो तो गलती पूरी तुम्हारी ही थी सुहानी बेटा ! इससे तुम्हें सबक लेना चाहिए । हमारी ज़िंदगी मे कुछ लोग सिर्फ हमे तोड़ने के लिए या अच्छा देखकर बुरा करने के लिए या आग लगाने के लिए ही आते हैं । ये समझदारी हमारे अंदर होनी चहिए की किसी अन्य की वजह से हमारा पुराना रिश्ता नहीं टूटे । रिश्तेदारी हो या फिर यारी  । एक दूसरे से हम सब सिर्फ  विश्वास की डोर से टिके हैं  और अगर #

विश्वास की डोर टूटती है तो तुम्हारे रिश्ते की नींव बहुत कमजोर है । इतना #पत्थर दिल बनकर मन मे गलतफहमी पालने से अच्छा है खुलकर सामने बात करो । तुमने सबको अनदेखा कर दिया, अगर ये सब दोस्त भी तुम्हारे साथ यही करतीं तो रिश्ता कब का टूट जाता । अब सम्भल जाओ और फिर से अपनी दोस्ती आगे बढाओ ।  सुहानी ने देखा उसके नम्बर पर छवि का फोन आ रहा था, उसने झट से फोन काटा और फिर न मिलने की ठानी । 

“थैंक्यू आंटी ! आपने हमारी दोस्ती को वापस लौटाने में हमारी मदद की । दिशा ने हाथ जोड़ते हुए विनम्रता पूर्वक कहा । तभी शिप्रा ने कहा..”तुमलोग के लेक्चर सुनकर चाय भी ठंडी हो गयी । तभी सुहानी की मम्मी ने कहा..”मैं लाती हूँ गर्म करके । अब तूलिका ने बोला हम गप्पें मारने के चक्कर मे ठंडी चाय ही पी लेते थे कई बार, आज भी वही दिन याद करके पी लेते हैं । बहुत सारे काम घर मे पड़े हैं ।

और सबने फिर से वादा किया अब अपनी दोस्ती के बीच हम किसी को नहीं आने देंगे ।

सुहानी की मम्मी ने अपने हाथों से गर्मागर्म गुलाबजामुन खिलाए , और फिर से मीठी प्यार भरी दोस्ती खिलखिलाकर आगे बढ़ चली ।

#पत्थर दिल

मौलिक, स्वरचित

अर्चना सिंह

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