घडियाली आंसू बहाना – सुभद्रा प्रसाद : Moral Stories in Hindi

लता के पति की मृत्यु करीब बारह साल पहले हो चुकी थी | उसकी दो बेटियां थी | जब उसके पति की मृत्यु हुई थी

तब उसकी बड़ी बेटी रमा तेरह साल और छोटी बेटी जया दस साल की थी | उसके पति एक कंपनी में काम करते थे |

पति की मृत्यु पर परिवार आये और घडियाली आंसू बहाकर चले गये | मदद करने का आश्वासन तो सबने दिया पर किया किसी ने नहीं |

पति की मृत्यु के पश्चात लता को उन्हीं की कंपनी में काम मिल गया | हांलाकि पद छोटा था और वेतन भी कम था, पर वह किसी तरह गुजारा करने लगी |

उसके एक देवर और ननद थी | दोनों ने उसकी परिस्थिति पर बहुत घडियाली आंसू बहाये और मदद के नाम पर  भाई और बहन दोनों ने एक एक बेटी को अपने पास रखना

चाहा, पर लता ने जाने नहीं दिया | उसने दोनों को बातें करते हुए सुन लिया था और जान गई थी

कि वे दोनों पालन और पढाई के नाम पर दोनों  को ले जाकर खानापूर्ति करने और मुफ्त की नौकरानी पाने के चक्कर में है |

वैसे भी कम हैसियत होने के कारण दोनों ने भाई-भाभी को कभी महत्व दिया ही नहीं तो अब उनकी बेटियों को क्या महत्व देगें?

उसने कहा कि अकेले उसका मन नहीं लगेगा | बेटियां साथ रहेगी तो उसके दिन आसानी से कट जायेंगे और दिल बहलता रहेगा |

इस तरह उसने अपनी दोनों बेटियों को अपने साथ ही रखा |मेहनत समझदारी और मितव्ययिता से उसने दोनों बेटियों का पालन किया |

तडक- भडक से दूर, सीधे सरल तरीके से रखा और उनकी शिक्षा, संस्कार और व्यवहार पर ज्यादा ध्यान दिया |  दोनों बेटियां पढाई में तेज और संस्कारी थी |

दो साल से देवर और ननद का आना  कुछ बढ़ गया था | वे आते उनकी स्थिति पर घडियाली आंसू बहाते ,हमदर्दी जताते और  रमा की शादी जल्द से जल्द कर देने को  कहते

| वे लोग रिश्ते भी बताते , पर रिश्ता उनके कोई रिश्तेदार का होता जो बेटी के लिए किसी तरह से उपयुक्त न होता |

लता इन्कार कर देती और कहती कि अभी इन्हें पढना और अपना करियर बनाना है | इसपर दोनों बहुत समझाते, ऊंच-नीच बताते और फिर गुस्सा कर चले जाते |

लता चाहती थी कि दोनों बेटियां, पढ लिखकर, करियर बनाये अपने पैरों पर खडी हो जाये फिर शादी करे |उसका सपना सच हुआ | 

दोनों बेटियां अपनी पढाई के साथ बच्चों को ट्यूशन भी पढाती रही | रमा ने ग्रेजुएशन पूरा किया, बहुत मेहनत की और सालभर पहले बैंक में पी ओ बन गई |

जया भी ग्रेजुएशन पूरा कर प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी में लग गई और उसे भी सफलता मिल गई | आनंद रमा के साथ बैंक में काम करता था |

दोनों ने एक दूसरे को पसंद किया और रमा की शादी आनंद के साथ तय हो गई |

रमा की शादी में आये  वे लोग जो उनकी स्थिति पर दिखावे के लिए आंसू बहाते थे, आज खुश होने का दिखावा कर रहे थे |

# घड़ियाली ऑंसू बहाना

स्वलिखित और अप्रकाशित

सुभद्रा प्रसाद

पलामू, झारखंड |

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