फुलवा – अनुराधा श्रीवास्तव “अंतरा “

Post Views: 42 ’’फुलवा, अरी हो फुलवा। कहाॅं मर गयी, जब जरूरत होती है तो इस लड़की का कहीं पता नहीं चलता है। खेल रही होगी कहीं लड़कों के साथ कंचा, गोटी। आने दो, मार मार कर चमड़ी ना उधेड़ दी तो मेरा भी नाम कमली नहीं।’’ कमली बड़बड़ाती जा रही थी और घर का … Continue reading फुलवा – अनुराधा श्रीवास्तव “अंतरा “