*फटे में टांग अड़ाना* – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

    हरिया आज फिर मेरे पास आया और फिर पुरानी व्यथा सुनाने लगा कि कैसे उसका भाई और भतीजा उसके जमीन के चक को हड़पने की चाल चल रहे है।मेरी समझ नही आ रहा था कैसे उसकी मदद करूँ?फिर भी मुझे उसकी बात सुन उससे सहानुभूति होती।

      एक दिन मैं स्वयं गावँ के पटवारी के पास चला गया और उससे हरिया की जमीन पर उसके भाई रामसिंह के हक जताने पर उसकी मदद करने की गुजारिश की।तो वह माथा पकड़ कर बैठ गया।पटवारी बोला तो हरिया आपके पास आ गया।मैं पटवारी की भाव भंगिमा देख चौंका।पूछने पर पटवारी ने बताया कि जिस जमीन की बात हो रही है

वो दरससल न तो हरिया की है और न ही राम सिंह की। दोनो उसे हड़पने के चक्कर मे है।आप जैसों को दोनो ऐसे ही जा जा कर एक प्रकार से सहानुभूति बटोरना और कृत्रिम गवाह बनाने का काम कर रहे है।जिससे कह सके देखो जमीन मेरी है आप फलाने से पूछ लो ढिकाने से पूछ लो।

पटवारी ने बताया कि असल मे जमीन इनके ताऊ के लड़के की है जो विदेश चला गया है,वह जब साथ रहते थे तो इन्हें सौप गया था कि वे उसके वापस आने तक देखभाल कर ले। अब इनकी नियत में फर्क आ गया है मेरे पास भी इस जमीन को अपने नाम चढ़वाने आये थे,रिश्वत दे रहे थे।बाबूजी भगवान को भी तो मुँह दिखाना है सो मैंने मना कर दिया।अब ये दोनों मिले हुए है,बस गावँ में अपने पक्ष में माहौल बनाने में लगे हैं।

      ओह, तो ये बात है,वह तो ये अच्छा हुआ कि मैंने उनके पक्ष में गावँ में मुहिम नही चलाई,अन्यथा अनर्थ हो जाता।दूसरे के पारिवारिक मामलों में विशेष रूप से संपत्ति मामले में पड़ने से पहले हजार बार सोच लेना चाहिये,पूरी सही जानकारी के बाद ही कदम उठाना चाहिये।मैंने तो बहरहाल कान पकड़ लिये जो आगे से ऐसे विवाद में पड़ने की भी सौचू।

बालेश्वर गुप्ता,नोयडा

मौलिक एवम अप्रकाशित

*#तौबा करना* मुहावरे पर आधारित लघुकथा:

    *फटे में टांग अड़ाना*

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!