विनोद महीने भर से शायरी व कविताएं फेसबुक पर अपलोड कर रहा था किंतु दो चार लाइक से ज्यादा उसे मिल नहीं रहे थे सुबह जब वह ऑफिस के लिए निकला तो रास्ते में उसे एक साइकिल पर सिम बेंचता आदमी दिखा साइकिल पर एक पेटी रखी थी जिसमें से आवाज आ रही थी नई सिम ले लो सुनहरा मौका ,, कोई पैसा नहीं ,,
विनोद ने नई सिम ले ली विनोद के मोबाइल में दो सिम आ सकती थी वह सड़क किनारे बैठ गया उसे न जाने क्या सूझी नए नंबर से अपनी फेसबुक आईडी बनाई तो अपना नाम विनोद ना लिखकर किसी एक महिला का फर्जी नाम मधुबाला टाइप किया और एक सुंदर सी लड़की का फोटो लगा दिया आईडी बनकर तैयार हो चुकी थी
,, विनोद को पता था यह नंबर किसी रिश्तेदार मित्र पड़ोसी या घर परिवार वालों को मालूम नहीं है उसने सड़क किनारे चार लाइनों की एक शायरी लिख दी और वह ऑफिस चला आया —
शाम को जब ऑफिस से छुट्टी हुई तो रास्ते में उसने मोबाइल निकाल कर फेसबुक पर नजर डाली तो उसकी शायरी को हजारों लाइक मिल चुके थे विनोद कमेंट्स पढ़ने लगा लोगों ने जमकर तारीफ की विनोद इस कामयाबी पर बहुत खुश हुआ अब वह सभी की नजर बचाकर अकेले में अच्छी-अच्छी शायरी व कविताएं लिखने लगा लाईकों की बौछार लगने लगी
एक महीना बीत चुका था विनोद की आज ऑफिस की छुट्टी थी टेलीविजन में समाचार देखने लगा कि उसकी नजर एक लड़की पर पड़ी मंच पर देश के प्रसिद्ध कवि गण उस लड़की को सम्मानित करते हुए बोले अब आपके सामने देश की प्रसिद्ध मधुबाला जो अपनी शायरी व कविताओं से एक महीने में ही सबके सामने उभर कर आई है विनोद टेलीविजन को गौर से देखते हुए बोला यह तो वही लड़की है जिसका मैंने फेसबुक पर फोटो लगाया था
मंच पर वह आते ही बोली लिखने का शौक तो मुझे बचपन से ही था एक महीने पहले मैंने मधुबाला नाम की आईडी बनाई और शायरी व कविताएं लिखने लगी उसने एक दो शायरी सुनाई लोगों ने खूब तालियां बजाई ,,,
विनोद मन ही मन उसे धिक्कारते हुए बोला यह तो मेरी शायरी है जो यह मंच पर सुना रही है विनोद ने गुस्से में टीवी बंद कर दिया
मंच पर उसने अपना पता बताया था विनोद उसका पता ढूंढते ढूंढते शाम तक उसके घर पहुंच गया तो एक बंगले के सामने एक गार्ड बैठा था गार्ड ने बताया हमारी मैम साहब फेसबुक में मधुबाला के नाम से शायरी कविताएं अपलोड करती है आज उन्हें पुरस्कार से सम्मानित किया गया बहुत से लोगों ने उन्हें बधाइयां दी
विनोद ने मिलने की इच्छा प्रकट की ,, तब वही लड़की आती नजर आई गार्ड से कहा उन्हें आने दो इन्हीं की वजह से मैं आज इतनी फेमस हुई हूं ,,,, गार्ड कुछ समझता ,,,
,,, विनोद उसके पीछे-पीछे बंगले के एक कमरे में पहुंचा वह अपना आधार कार्ड दिखाते हुए बोली इस आधार कार्ड में मेरा नाम मधुबाला है यह नाम मेरे दादाजी ने रखा था क्योंकि उन्हें मधुबाला की फिल्में ज्यादा पसंद थी तब विनोद बोला मगर कविताएं तो मेरी थी इस सम्मान का हकदार तो मैं हूं तब मधुबाला बोली आज सारी दुनिया मुझे जानती है तुम्हें नहीं ,,,,
तुम दूसरे का चेहरा दिखाकर लाइफ बटोरते रहे यह सोचकर कि यह तुम्हारी कामयाबी की जीत है
तुम गलत थे तुमने जितनी भी कविताएं लिखी हैं वह अब मेरी है तुमने
शायरी के नीचे हमेशा यही लिखा
,,,,,, लेखिका मधुबाला दिल्ली से ,,,,,
विनोद उठकर चलने को हुआ तब मधुबाला बोली
तुम्हें दो या चार लाइक मिलते थे तुमने उनकी कीमत ना समझी तुम्हें पता है एक लाइक की कीमत हजारों लाइक से ज्यादा होती है किंतु तुमने उन दो-चार लाइकों की कीमत ना समझी वह तुम्हारी खुद की पूंजी थी मेरी तस्वीर लगाकर जो तुमने लाइक बटोरे उस पर मेरा अधिकार है अब तुम जाओगे या गार्ड को बुलाऊं
विनोद अपनी गलती पर पछता रहा था उसे समझ आ चुकी थी फेसबुक का मतलब होता है सिर्फ अपनी फोटो लगाना और अपना सही नाम लिखना
विनोद ने मोबाइल से वह फ्री वाली सिम निकाल कर कचरे के डिब्बे में डालते हुए अपने ही मन से बात करते हुए बोला झूठ का नकाब ओढ़ कर
,,,, कभी भी सफलता हासिल नहीं की जा सकती ,,,
नेकराम सिक्योरिटी गार्ड
मुखर्जी नगर दिल्ली से
स्वरचित रचना