एक थी श्रद्धा…..  – विनोद सिन्हा “सुदामा”

Post Views: 30 आप समझते नहीं पापा…आपके खयालात आज भी वही पुराने और घिसेपिटे हैं… अब मैं बड़ी हो गई हूँ..और अपना अच्छा बुरा सोच सकती हूँ.और मुझे मेरा फैसला लेने का पूरा अधिकार है.. लेकिन बेटा …..ऐसी भी क्या जल्दी…पहले उसे समझ तो ले..जान ले अच्छी तरह क्या करता है..कहाँ रहता है..घर परिवार कैसा … Continue reading एक थी श्रद्धा…..  – विनोद सिन्हा “सुदामा”