Post View 1,674 आज आँसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे ..अश्रुओं की अविरल धारा ने अतीत पर जमी धूल को हटाकर जैसे अनावृत कर दिया हो । सब कुछ चलचित्र भांति आँखों के समक्ष घूम रहा है। वह मेरी मित्र थी..या कोई रूहानी सम्बन्ध था उससे ..आज तक मन समझ न पाया । … Continue reading एक थी सिद्धि – सीमा वर्णिका
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