एक फौजी आदमी का देश से अटूट बंधन – मीनाक्षी सिंह
Post View 561 किसी गजरे की खुशबु को महकता छोड़ आया हूँ, मेरी नन्ही सी चिड़िया को चहकता छोड़ आया हूँ, मुझे छाती से अपनी तू लगा लेना ऐ भारत माँ, मैं अपनी माँ की बाहों को तरसता छोड़ आया हूँ। मेरे पापा जब बी .काँम कर रहे थे तब बस उन्होने बैंक की नौकरी … Continue reading एक फौजी आदमी का देश से अटूट बंधन – मीनाक्षी सिंह
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