एक मुट्ठी उम्मीद के सहारे जिंदा हूं। – सुषमा यादव

Post View 303 मैं नवासी साल में चल रहा हूं, अपने बेटी के साथ ही रहता हूं, बेटे बहू ने बहुत साल पहले ही हमसे पल्ला झाड़ लिया था, मुझे और मेरी पत्नी को दस दिन रखने के बाद गाड़ी करके गांव भिजवा दिया था कि मेरे घर में आप लोगों के लिए जगह नहीं … Continue reading एक मुट्ठी उम्मीद के सहारे जिंदा हूं। – सुषमा यादव