एक माफ़ी ने बिगड़ने से पहले रिश्ते सुधार दिये – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

ट्रिंग ट्रिंग! दरवाज़े की घंटी बजी! इवा डिनर खत्म कर अपनी छ साल की बेटी इना को सुलाने की कोशिश कर रही थी!”अब इतनी रात को कौन आ गया “सोचते मैजिक आइ से झांक कर देखा पर समझ ना सकी!

कौन?कहने पर उधर से आवाज आई “मैं!मैं हूं सागर!

पूरे सात साल बाद वही सागर सी गंभीर,ठहरी हुई आवाज जिसके गाने सुनकर इवा मंत्र मुग्ध हो जाया करती थी जिस आवाज को बार बार सुनकर भी इवा का मन नहीं भरता था। जिस शख़्स को देखने को ,सुनने को वो सात साल से तरस रही थी

वो आज साक्षात उसके सामने खड़ा था!इवा को अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था!कहीं वह सपना तो नहीं देख रही थी!

“अंदर आने को नहीं कहोगी”?सागर के कहते ही वह एक तरफ हट गई!

झेंपता सा सागर आकर सोफे पर बैठ गया।

इवा ने देखा वह काफी कमज़ोर और ढीला सा लग रहा था!इवा को देखकर दुख हुआ कहाँ वह सात साल पहले का स्मार्ट,हैंडसम सागर काॅलेज की ज्यादातर लड़किया जिसकी दीवानी थीं पर उसका दिल सीधी सादी भोली भाली इवा पर आया था!कहाँ यह लतर-पतर बेचारा सा सागर?

इवा के सामने वह दृश्य चलचित्र की तरह घूमने लगा जब दोनों ने शादी की थी!कितने खुश थे वे !

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फिर कुछ महीनों बाद इवा प्रेग्नेंट थी काफी काॅम्प्लीकेशन थे !डाक्टर ने उसे बैड रैस्ट बताया था!

इवा अपने मां-बाप के घर थी!तभी सागर को छ महीने के लिए ट्रेनिंग के लिए अमरीका जाना पड़ा! वह इवा को ऐसी हालत में छोड़कर जाना नहीं चाहता था पर इवा के ही कहने पर कि जब वह वापस आएगा तो  दुनिया के सबसे अनमोल गिफ्ट से वह उसका स्वागत करेगी सागर कैलिफ़ोर्निया चला गया!

अमरीका जैसे देश के खुलेपन के आगे सागर के भारतीय संस्कार पीछे रह गए और कुछ आंतरिक क्षणों में अपने साथ ट्रेनिंग लेती हुई शीना सागर पर  अपना सबकुछ लुटा बैठी! इवा से दूरी और शीना के आकर्षण ने संयम के सब बंधन तोड़ दिये!

दोनों लिव इन रिलेशन में रहने लगे।

पहले सागर जल्दी जल्दी फोन करता फोटोज़ भेजता फिर धीरे धीरे फोन कॉल कम होते गए।

ट्रेनिंग खत्म कर सागर ने कंपनी छोड़कर वहीं कुछ काम ले लिया!उसने शीना के बारे में इवा को बता दिया!

इवा ने इना को जन्म दिया !शुरुआत में उसके मां-बाप ने सहारा दिया फिर इना तीन साल की हुई तो इवा ने अपना एम बी ए पूरा कर एक अच्छी नौकरी ज्वाईन कर ली!

इवा अंदर ही अंदर टूट गई थी!सागर की बेवफाई उससे सहन नहीं हो रही थी!कई बार उसका मर जाने को मन करता पर मासूम सी इना को देखती तो

  सोचती कि उसे हिम्मत नहीं हारनी है इना के लिए जिन्दा रहना है।

फ्लैट किराए पर लेकर एक आया रख ली !इना को स्कूल छोड़कर वह ऑफिस चली जाती ,स्कूल से इना नाना नानी ले जाते शाम को इवा लौटकर इना को घर ले आती!

सब अच्छा चलता!पर कभी कभी अकेले में सागर की यादें इवा के अकेलेपन पर दस्तक देतीं तो इवा बेचैन हो उठती!उसे दिल को समझाने में बहुत मुश्किल होती।रह रहकर उसे सागर के साथ बिताए वो प्यार भर लम्हे याद आते और वो उदास हो जाती!

नन्हीं इना को वो मां-बाप दोनों का प्यार देने की भरसक कोशिश करती!

आज सागर ने एकाएक आकर उसके जीवन में ऐसी हलचल मचा दी जैसे कोई गहरे तालाब के पानी में जोर से पत्थर मार दे।

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छः साल से इना को सागर की फोटो दिखाकर झूठे बहाने बनाकर बहला रही थी!जाने क्यूं उससे इना से यह नहीं कहा गया कि उसके पापा मर गए या उन्हें छोड़कर चले गए!

सागर ने बताया शीना उसे छोड़कर एक अमरीकन के साथ चली गई क्योंकि उसके पास सागर से ज्यादा पैसा था!

सागर इवा के सामने बहुत रोया गिड़गिड़ाया बार बार अपने किये की माफी मांगता यही कहता रहा कि सबसे ज़्यादा गुनाहगार वह इना का है जिसे वह पैदा होने से पहले ही छोड़कर भाग गया था।

इतने दुख झेलकर कर भी इवा इतना कुछ हो जाने पर भी सागर से नफरत नहीं कर सकी !

उसके दिल में उथल-पुथल मची थी!एक मन करता उसे घर से बाहर का रास्ता दिखा दे क्योंकि जो सागर ने उसके साथ किया वो कोई दुश्मन भी ना करता,फिर सागर तो उसे प्यार करता था!

दूसरी तरफ जब इना को देखती तो सोचती इस मासूम की क्या गलती ?इवा इसी उहापोह में डूबती उतराती रही!

फिर दिल कड़ा करके उसने

कहा “सागर!इतना सब होने के बाद मेरा मन तुम्हारी तरफ से बहुत खट्टा हो गया है !तुमने मेरे विश्वास को ठेस पहुंचाई थी!अब तक मैंने अकेले इना की परवरिश कितनी मुश्किल से की तुम शायद समझ नहीं पाओगे! इसीलिए अब मैं तुम्हें पति के रूप में अपना नहीं पाऊंगी ना ही  सम्मान नहीं दे पाऊंगी पर इना के पिता तुम थे ,तुम रहोगे !इना से यह अधिकार मैं नहीं छीन सकती !तुम्हारी बेवफाई की सजा बेचारी इना क्यूं भुगते?मुझसे ज्यादा तुम इना के गुनहगार हो!मेरी ज़िन्दगी तो जैसे तैसे कट गई! पर इना के भविष्य के लिए मुझे मजबूरन यह निर्णय लेना पड़ रहा है!वह बेचारी बाप के होते हुए अनाथ क्यों कहलाए!

एक पत्नी होकर नहीं बल्कि बेटी की मां होकर मैने इना के लिए तुम्हें माफ किया!

ज़िन्दगी में कब, कहाँ ,कैसे ,क्या हो जाए कुछ पता नहीं!कभी कभी बीता हुआ कल किस समय एकाएक आकर सामने खड़ा हो जाए कोई नहीं जानता।ज़िन्दगी इम्तिहान लेती है कोई सागर की तरह फेल होता है तो कोई इवा की तरह थपेडों की आग में तप कर कुंदन बन जाता है।फिर सारे शिकवे गिले बेमानी हो जाते हैं।

इवा की एक माफ़ी ने इना को मां-बाप लौटा दिये,एक नन्हीं बच्ची का बचपन बाप के साऐ से महरूम रहने से बचा दिया!

कुमुद मोहन

स्वरचित-मौलिक

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