एक दूसरे का सहारा –   मुकुन्द लाल 

Post View 356     शाम के समय रजनी पार्क में अपनी बच्ची पुष्पा के साथ बेंच पर खोई-खोई सी बैठी हुई सोच रही थी कि एक स्त्री के जीवन में ऐसा भूचाल भी आ सकता है? उसने ऐसा कभी सोचा ही नहीं था कि उसका सुगंधित और हर्ष से सराबोर दाम्पत्य जीवन एक झटके में … Continue reading एक दूसरे का सहारा –   मुकुन्द लाल