एक दिन का बादशाह  (हास्य रचना) –  -विनोद प्रसाद ‘विप्र’ 

Post Views: 9 “अजी उठिए, सात बज रहे हैं। और कितना सोएंगे ?”- शहद टपकती आवाज मेरे कानों में पड़ी तो मैं हड़बड़ा कर उठ गया। आँखें मलते हुए मैंने मुआयना किया कि मैं अपने ही घर में तो हूँ न। जब यकीन हो गया तब मैंने उन्हें गौर से देखा, यह सुनिश्चित करने के … Continue reading एक दिन का बादशाह  (हास्य रचना) –  -विनोद प्रसाद ‘विप्र’