एक अल्हड़ एक परिपक्व – मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

आज मधु जी  जिम्मेदारी से मुक्त हो गई ।

 सबसे छोटे बेटे गोपाल की शादी अपने पसंद की लड़की रागिनी से किया ।‌ मधु जी के दो बेटे थे बड़ा बेटा आलोक जो स्वयं बैंक में कार्यरत था और अपनी ही सहकर्मी प्राची जो अंतर जाति थी, से” लव मैरिज” की । हालांकि घर वाले तो तैयार नहीं थे पर वो कहते हैं ना कि “मियां बीबी राजी तो क्या करेगा काजी” •••••।

 मधु जी की एक बेटी थी ‘माला’ जिसकी शादी उसी शहर में हुई•••। माला का पति भी बैंक में ऊंचे पद पर कार्यरत था—- इस कारण जब भी उसे मां-पापा से मिलने का मन करता वह चली आती।  ज्यादातर बेटी- दामाद रविवार को ही आने की कोशिश करते ताकि उन लोगों का  सभी से मिलना हो सके ।

बड़ी बहू प्राची बहुत ही “समझदार और गंभीर” थी•••। छोटी बहू रागिनी  एक सोशल वर्कर थी वह  “एन• जी• ओ” से जुड़ी थी। लेकिन बचपना  उसमें कूट-कूट के भरा था।

“अरे बेटा तू ••••! क्या बात है—   अक्सर रविवार को आया करती है और सार्थक जी साथ नहीं आए•••? मधु जी माल को देखते ही सारे सवाल जड़ दिए ।

 हां••• मां•••• !वो आज पास ही किसी काम से गुजर रही थी तो सोचा शाम की चाय आप लोगों के साथ ही पी लू•••••! सो आ गई—!

 हां बेटा अच्छा किया•••• कृष्णकांत जी बेटी को देख खुश होते हुए बोले ।

 तू बैठ—” मैं चाय बना कर लाती हूं “तेरी भाभियां तो अपने-अपने काम में गई हुई हैं  ।मधु जी बोली।

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 हां-हां मुझे पता है••• आप बैठकर पापा से बात करो मैं पकोड़े और चाय बना कर लाती हूं माला अपनी मां से बोली।

 चल मैं भी तेरे साथ चलती हूं—-तू पकोड़े बना तब तक मैं चाय चढ़ा दूंगी!

 ठीक है••••! हंसते हुए माला बोली ।

   मधु जी की दोनों बहूएं का ‘यद्यपि स्वभाव में अंतर था ‘तथापि एक चीज़ उनमें सामान्य थी•••  प्राची के पिता बचपन में ही गुजर गए थे और  रागिनी की मां भी बचपन में गुजर गई••••  सौतेली मां थी जिससे उसे मां का प्यार तो नहीं मिला परंतु हां नफरत जरूर मिली ।

तो कैसी है छोटी भाभी••••? आपकी सेवा तो करती है ना—-! प्याज काटते हुए माला पूछी ।

 हां सेवा तो बहुत करती है परंतु••• 

परंतु क्या मां••••? 

थोड़ी सी अल्हड़ है—! मधु जी उदास होते हुए बोली 

मतलब—? 

मतलब तेज तर्रार और गंभीरता  नहीं बचपना है उसमें—!

अच्छा बस इतनी सी बात—! 

 हां बेटा देख••• तेरी बड़ी भाभी है तो गंभीर मगर••• मायका दौड़ दौड़ के जाती है– बस••• उसकी ये चीज मुझे पसंद नहीं—‘ एक पैर यहां’ ‘एक पैर वहां—-! 

और छोटी को देख, उल्टा ही है—-मायका जाने का नाम ही नहीं लेती—!  मुझे और तेरे पापा को सारा दिन मम्मी जी— पापा जी— मतलब की सोच उसमें गंभीरता वाली बात नहीं—! तेरे पापा तो बहुत खुश होते, बोलते घर में एक बच्ची है—! 

पर मैं ही तनाव में रहती हूं की पता नहीं इसे कब अकल आएगी—?

मां–! “एक मायका जाती है तब भी परेशान हो और दूसरी मायका नहीं जाती है तब भी परेशान—?

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अरे नहीं बेटा—! एक जरूरत से ज्यादा गंभीर और दूसरी में जरूरत से ज्यादा अल्हड़पन—! 

  “मां आप समझो ना बात को आपकी दोनों बहूओ का स्वभाव अलग-अलग होने के साथ-साथ दोनों ही अलग-अलग परिस्थितियों में पाली बढी ।

 एक बिन पिता के पहली संतान होने की वजह से घर की सारी जिम्मेदारियां उन्हीं के कंधों पर थी••• तथा उनसे छोटे दो भाई-बहन जिनकी पढ़ाई-लिखाई की जिम्मेदारी भी इन्हीं पर थी— भाभी  की मां उनकी इतनी पढ़ी-लिखी नहीं थी कि बाहर कोई काम कर सके सो 16-17 साल में ही इन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ घर की जिम्मेदारियां भी उठा ली••• तो “परिपक्वता” रहेगी ना•••!

अच्छा आप एक बात और बोल रही थी ना कि— एक पैर मायका और एक पैर ससुराल तो सुनिए भाई से शादी भाभी ने इसी सर्त पर की थी कि वह शादी के बाद भी जब तक कि उनके भाई-बहन सेटल नहीं हो जाते तब तक वह दोनों के साथ-साथ मां को भी संभालेगी—! आप भी ये बात शायद जानती थी—!

  जानती तो थी बेटा—! शायद तू ठीक कह रही है हां मुझे ही बुरा लगने लगा कि वह हमेशा मायका चली जाती है—!

 अच्छा  अब बड़ी भाभी ने दोनों भाइयों की सारी जिम्मेदारियां स्वयं संभाली हैं जैसे- बिजली बिल भरना, तुम्हारे और पापा को डॉक्टर से दिखलाने की जिम्मेदारियां भी खुद उठा ली–! कंप्यूटर चलाने में तो वह मास्टर है आधा काम तो हमारा वह घर बैठे ही ऑनलाइन कर देती हैं अब इस उम्र में आप दोनों बाहर नहीं जा सकते सो आप दोनों की पसंद की शॉपिंग घर बैठे ही करवा देती हैं। ये सारे काम बड़ी भाभी ने ही तो संभाल रखी हैं••••तो बताइए इतनी सारी खूबियां है और आप सिर्फ इसलिए परेशान है कि वह मायका चली जाती है।

 रही बात छोटी भाभी में परिपक्वता का— तो आपको खुश होना चाहिए कि रोजमर्रा के काम से घर में सभी को चाहे वह घर का कोई भी सदस्य हो तनाव से ग्रस्त रहते हैं आप सब का स्वभाव भी गंभीर वाला है— कोई कभी भी अपने चेहरे पर मुस्कान तो लता नहीं— और एक अकेली भाभी ही है जो आप सबके चेहरों पर मुस्कान लाती हैं वह भी बिना पैसे खर्च किए हुए—! 

मां आपको बता दूं छोटी भाभी की मां बचपन में गुजर गई इनके पापा ने जब दूसरी शादी की तब इन दोनों भाई बहन को सौतेली मां के बुरे बर्ताव की वजह से, इनके पापा हॉस्टल छोड़ आए जहां दोनों भाई-बहन मां के प्यार से मेहरूम थें•••और अब भाभी को आप और पापा मिले— पूरा परिवार मिला••• तो बेचारी एक बार आप लोगों से प्यार की उम्मीद रखती है तो क्या बुराई है••• इसमें आप भी खुश हो जाया करो ना•••!

 इतनी अच्छी-अच्छी बहुएं मिली एक ने बाहर के काम से आप सबको मुक्त कर दिया दूसरी आप लोगों को तनाव से••••!

 हां बेटा— ये तो तू सही कह रही है— सच में मैं तो बहुत भाग्यशाली हूं कि— मेरे घर एक नहीं दो-दो हीरे हैं— और उस “हीरे की परख एक जौहरी” ही करता है–! माला अपनी कॉलर उठाते हुए बोली।

 दोनों हंस पड़े–

 अब चल चाय पकौड़े ठंढे हो रहे हैं तेरे पापा पकोड़े के इंतजार में आस लगाकर बैठे होंगे–!

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तभी रानी भी ऑफिस से आ जाती है अरे दीदी आप कब आए—? अच्छा हुआ कि आज मैं जल्दी आ गई और आपसे मुलाकात हो गई—! माला के के गले से लिपटे हुए रागिनी  बोली।

 चलो सभी ड्राइंग रूम में चाय पकौड़े ठंढे हो जाएंगे— मधु जी बहू की गाल को खींचते हुए बोली।

 रागिनी मधु जी से लिपट गई ।

 कृष्णकांत जी के चेहरे पर की खुशी मधु जी को साफ दिख रही थी।

दोस्तों कभी-कभी हम लोगों की अच्छाइयां को नजर अंदाज कर के उनके किसी एक कमी के पीछे हाथ धोकर पड़ जाते हैं  ।हमें लोगों की अच्छाइयों से खुश रहना चाहिए ना कि किसी एक कमी से, दुखी ।

दोस्तों अगर आपको मेरी कहानी पसंद आई हो तो प्लीज उसे लाइक्स ,शेयर और कमेंट जरुर कीजिएगा ।

धन्यवाद।

भाभी

 मनीषा सिंह

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