“एक आँख से देखना” – सरोज माहेश्वरी : Moral Stories in Hindi

 एक गैरसरकारी स्कूल के मखमली घास के खेल प्रागंण में फुटबॉल मैच चल रहा था। हर खिलाड़ी अपना शत प्रतिशत देना चाह रहा था क्योंकि आज गोवा फुटबॉल फेस्टिवल के लिए प्रतिभागियों को चुना जाना था।  श्रेष्ठ खिलाड़ी गोपाल और माधव ने आज भी अपनी काबिलियत के झंडे गाड़ दिए थे …

उन दोनों का चुना जाना समझो निश्चित था… चुने हुए खिलाडियों को एक सप्ताह गोवा फेस्टिवल में खेलने जाना था।

गोवा के प्रोग्राम के दिशा निर्देश हेतु प्रधानाचार्या केतकी जी और कोच भंडारी जी की मीटिंग हुई… भंडारी जी बोले… मैडम! गोपाल और माधव के स्थान पर यदि अयान और प्रयान को प्रथम रखा जाए और अयान, प्रयान के स्थान पर किन्ही दो नए खिलाडियों को अतिरिक्त के लिए रख लिया जाए

तो ठीक रहेगा.. मैडम केतकी ने आश्चर्य से कोच भंडारी को देखते हुए पूछा… ऐसा क्यों? जबकि गोपाल और माधव दोनों ही उम्दा खिलाड़ी हैं। कुछ रुक कर कोच भंडारी जी बोले.. मैडम! गोपाल और माधव गोवा जाने का २० हजार रुपये खर्चा देने में असमर्थ होंगे।

गोपाल के पिता रिक्शा चलाते हैं और माधव के पिता सब्जी को ठेला लगाते हैं। दोनों के पिता इतना खर्चा नहीं कर पाएंग़े ….  अयान और प्रयान के पिता पैसा खर्च कर सकते हैं वे पैसे वाले हैं वे चाहते भी हैं कि उनके बच्चे गोवा फेस्टिवल में मैच खेलने जाएं…

मैडम केतकी कड़क स्वर में बोली… भंडारी जी! ऐसा आपने सोच भी कैसे लिया? विद्यालय योग्यता और काबिलियत को अग्रसर करने का मंदिर होता है, यहाँ क्षमता को पैसे से तोलना पाप के सामान है। पक्षपात रहित होना शिक्षक का कर्तव्य है। रही बात धन के खर्चे की तो गोपाल और माधव का पूरा खर्च विद्यालय उठाएगा

यदि विद्यालय असमर्थ होगा तो मानवता के नाते हम सब मिलकर दोनों का खर्च वहन करेंगे और उचित योग्यता को आगे बढाएंगे। कोच के प्रस्ताव को केतकी मैडम ने सिरे से नकार दिया।   

अंत में गोवा फुटबाल फेस्टिवल में कई टीमों से जीत हासिल कर उनकी टीम ने विद्यालय का नाम रोशन किया जिसका काफी कुछ श्रेय गोपाल और माधव को जाता था। गोपाल को मेन ऑफ दा मैंच और माधव को सर्वाधिक गोल के लिए पुरस्कृत किया गया…

स्कूल में टीम के स्वागत समारोह के आयोजन पर मैडम केतकी ने खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन किया और कहा..  हमारे देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है टीम ने शानदार प्रदर्शन करके विद्यालय को गौरवान्वित किया है।हमें आशा है यदि हम इसी तरह खेलते रहे तो

अवश्य ही इंटर स्टेट में अपना स्थान सुनिश्चित कर लेंगे …. मैडम केतकी ने अपनी बात को जोर देते हुए कहा…यदि प्रतिभाओं को बिना पक्षपात के एक आँख से देखा जाए ,योग्य निर्धन को आर्थिक मदद मिले तो ये हीरे निश्चित रूप से विश्व पटल पर भारत का नाम ऊंचाइयों के शिखर तक ले जा सकते हैं….

स्व रचित मौलिक रचना 

सरोज माहेश्वरी पुणे ( महाराष्ट्र ) 

# एक आँख से देखना ( मुहावरा प्रतियोगिता)

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!