सुहानी कहाँ चली गई है बेटा इधर तो आ सासु माँ ने बड़े ही प्यार से अपनी छोटी बहू सुहानी को पुकारा ।
सुहानी ने रसोई से आवाज़ दी माँ मैं रसोई में दीदी की मदद कर रही हूँ ।
सासु माँ ने ज़ब्त फिर से पुकारा तो वह रसोई से आकर कहती है बोलिए माँ क्या चाहिए ।
तुम रसोई में क्या कर रही हो बडी बहू है ना वह कर लेगी यहाँ बैठ हम दोनों सीरियल देखेंगे ।
सुहानी ने कहा माँ जब से मैं ब्याह करके आई हूँ देख रही हूँ कि आप मुझे काम नहीं करने देती हैं और दीदी बिचारी बच्चे को सँभालतेहुए घर का सारा काम अकेले करती हैं ।
सासु माँ ने कहा कि – तुम्हारे पिता ने बहुत सारा दहेज दिया है और उसके पिता ने कुछ नहीं दियाइसलिए वह काम करेगी और तुम राज करोगी समझ गई है न ।
सुहानी — मैं आपकी बात से सहमत नहीं हूँ सासु माँ मैं दीदी की सहायता करूँगी आप मुझे माफ़ करदीजिए कहते हुए रसोई में चली गई । सुहानी से बड़ी बहू ने कहा उनकी बात मान ले मैं काम कर लूँगी मुझे आदत है ।
सुहानी – मैं उनकी बात नहीं मान सकती दीदी उनका इस तरह का भेदभाव मैं पसंद नहीं कर सकती हूँ ।
सासु माँ मन ही मन मुस्कुराते हुए सोचती है मैं दोनों को एक आँख से देखना चाहती हूँ । अधिक दहेजलाई छोटी बहू को परखने के लिए यह नाटक किया था । अब मैं निश्चिंत होकर रह सकती हूँ ।
स्वरचित
के कामेश्वरी