दूसरी पारी का वह पहला दिन – नरेश वर्मा
Post View 39,439 सोचा था कि आज देर से सोकर उठूँगा क्योंकि यह एक बंधन मुक्त सुबह होगी ।किंतु शरीर जो इतने वर्षों से चली आ रही दिनचर्या का अभ्यस्त रहा था उसने नियत समय सुबह के साढ़े पाँच बजे आँखें खोल दीं।अब शरीर का भी क्या दोष ,उस बेचारे को तो नहीं पता था … Continue reading दूसरी पारी का वह पहला दिन – नरेश वर्मा
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