Post View 751 दुनियालाल ! हाँ ! इसी नाम से जानते थे हम उन्हें । नाम लेते ही एक विकराल-सी छवि स्मृति पटल पर उभरने लगती है । यह छवि धूमिल होकर भी यदा-कदा मेरी स्मृति के गलियारे में चक्कर लगा ही जाती है । लंबी-चौड़ी काया, कपड़े काले या शायद मटमैले-से ढीले-ढाले और कंधे … Continue reading दुनियालाल – पूनम वर्मा
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