दुःखों से निकलने की होड़ – कंचन सिंह चौहान : Moral Stories in Hindi
Post View 66 हाल चाल लेने की जनरल कॉल करती हूँ, तो उसकी आवाज़ थोड़ी डल लगती है। “क्या हाल है?” “ठीक है।” ” क्या हुआ बड़ा शोर है?” “हम्म्म.. वो यहाँ आया था ना ! नीरा दी के घर” “ओके ओके…नीरा ठीक है ?” ” अरे वो मौसी….. वो… नीरा दीदी के ससुर एक्सपायर … Continue reading दुःखों से निकलने की होड़ – कंचन सिंह चौहान : Moral Stories in Hindi
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