दोनों बहुओं में अंतर क्यों सासुमां – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

आज छोटे बेटे अजय की शादी थी।  अंजना बहुत व्यस्त थी।  खुश तो बहुत थी शादी से पर एक बात कचोट रही थी कि छोटी बहू थोड़ा सावंले रंग की है।  बेटा अजय तीनों बच्चों में सबसे सुन्दर है। पर वही जिद पकड़ लिया कि वह इसी लड़की से शादी करेगा। बड़ी बहू प्रीता गोरी चिट्टी है। अंजना खुद भी बहुत साफ रंग की नहीं हैं इसलिए उनके सौंदर्य का माप दंड गोरा रंग ही है। बड़ी बहू वह अपनी पसंद से लाई थी।

शादी हो गई घर में बहू मोना भी आ गई।  दोनों बहुओं ने घर संभाल लिया। छोटी बहू का रंग भले ही कम था नाक नक्श कटीले थे और उसकी निश्छल हँसी। सबको बरबस आकर्षित कर लेती थी। छोटी बहू सब का दिल जीत ली पर सासुमां का दिल नहीं जीत पाई। धीरे-धीरे दिन बीतने लगे। 

मोना को सासुमां हमेशा व्यंग बाण से घायल करती रहती।  वह कुछ पहने तो बोलती अरे ये बड़ी बहू प्रीता पर खिलेगा तुम्हारे ऊपर नहीं अच्छा लग रहा।  वह एक बार भी नहीं सोचती की मोना का दिल कितना दुखता है। अक्सर वह बड़ी बहू की प्रशंसा करेंगी और छोटी के कार्यों की मीनमेख निकालती। 

इस काम में बड़ी बहू प्रीता भी उनका साथ देती है।  एक दिन मोना ने रंग बिरंगी कांच की चूड़ियाँ पहन ली। पति तो फ़िदा हो गए।  पर सासुमां ने देखा तो बोली ये क्या तुम्हारे ऊपर ये रंगबिरंगी चूड़ियाँ अच्छी नहीं लग रही।  ये तो प्रीता बहू पर अच्छी लगेगी। आँखों में आंसू लिए मोना ने कमरे में आ कर चूड़ियाँ उतार दी।  मोना को सासू मां की यह बात दिल में गांठ कर गई।

 शाम की चाय देते समय ससुर जी ने उसके खाली हाथ देखें तो पूछा अरे मोना तुमने चूड़ियाँ क्यों उतार दी।  उनकी खनखनाहट कितनी अच्छी लग रही थी।  उतरे चेहरे से मोना बोली पापा जी वह बड़ी बहू पर अच्छी लगती हैं मेरे ऊपर नहीं।  प्रशांत जी समझ गये बोले अंजना इस चेहरे को देखो। 

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जो तुम कहती हो वही ये करती है। कभी इसने शिकायत नहीं की।  रंग कम होने से खूबसूरती कैसे कम हो गई।  हमारे घर की रौनक तो मोना ही है।  कितना ध्यान रखती है हम सबका।  बड़ी बहू तो इतना ध्यान नहीं रखती है।  तुम कब तक दोनों बहुओं में अंतर करती रहोगी। 

तुम्हारा खुद का रंग गोरा नहीं है।  हमने या मेरी माँ ने तो तुम्हें कभी नहीं कहा के तुम्हारा रंग कम है।  इंसान अपने गुणों से सुन्दर होता है।  तुम्हारी ये हरकत इस घर में अलगाव कर देगा संभल जाओ।  

 बात सत्य थी अंजना को समझ में आ गई वह ढेरों रंगबिरंगी चूड़ियाँ ले आई और मोना को पहना माफ़ी मांग ली।

लेखिका :

संगीता त्रिपाठी 

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