दोहरा चेहरा – समाज के लिए कुछ अपनों के लिए कुछ – संगीता अग्रवाल
Post View 1,936 ” अरे तुम रीमा हो ना पर तुम यहाँ क्या कर रही हो ?” सुगंधा ने अपने कॉलेज की दोस्त को एक सस्ती कपड़ो की दुकान के बाहर खड़े देख पूछा। ” सुगंधा तुम अचानक यहां ?” रीमा खुश होते हुए अपनी दोस्त के गले लगती हुई बोली। ” हां वो मेरे … Continue reading दोहरा चेहरा – समाज के लिए कुछ अपनों के लिए कुछ – संगीता अग्रवाल
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