दिन बीत गए पर दर्द रह गए – रत्ना साहू 

Post View 360 मॉर्निंग वॉक से राधिका जी घर लौटी तो देखा बेटा आरव रसोई में कुछ बना रहा है। “तू यहां क्या कर रहा है बेटा? चल तू जा यहां से, मैं कर लेती हूं।” “कुछ नहीं मां! ब्रेकफास्ट बना रहा हूं।” “पर तुम क्यों बना रहे हो? मैं बना लेती हूं ना!” “आप … Continue reading दिन बीत गए पर दर्द रह गए – रत्ना साहू