Post View 198 तमाम रिश्तों से विमुख हो मन, दीमाग को नज़रंदाज़ कर उस दिशा में भागता जहां जाने अंजाने दिल की जमीं पर मोहब्बत का पौधा उगा आया । एक तरफ तरुणाई यौवन को छू रही तो दूसरी तरह मन किसी अनजाने से बंधन में बंध रहा, वो भी ऐसे कि उसके आगे सारे … Continue reading दिल से याद – कंचन श्रीवास्तव
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