रघुराज जी एक माने हुए वकील हैं । उनकी वकालत बहुत अच्छी चलती है । उनके पास केसो की लाइन लगी रहती है । लोगों का मानना है जो केस वह लेते हैं निश्चय ही जीते हैं । वह बहुत ही बारीकी से केस की रीडिंग करके उसका दोनों पक्षों का वादी और प्रतिवादी हल करने के बाद केस अपने हाथ में लेते हैं । नहीं तो मना कर देते हैं ।
अनावश्यक पैसा किसी से नहीं लेते हैं । उनकी पत्नी राधा जी एक घरेलू महिला है ।
वह शालीनता पूर्वक अपने घर में सास ससुर की आदर भाव से सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ती । उनकी पसंद का नाश्ता खाना कर खुद अपने हाथ से बना कर देती हैं । पूरा परिवार उनके व्यवहार से खुश रहता है । वकील साहब अधिकतर अपने केसो के चक्कर में उलझे रहते हैं । उनकी पत्नी प्यार से उनसे कहती हैं कम से कम अपने खाने-पीने का तो ध्यान रखा करिए । हमारे एक ही तो बेटा है श्यामू । उसका पालन पोषण में ही तो पैसा चाहिए
दादा दादी मम्मी पापा का लाडला है । बेटा श्यामू भी मस्त मौला बच्चा सबका मन अपनी शरारतों से लगाए रहता । धीरे-धीरे बड़ा होकर आठवीं क्लास में आ गया । शाम को पार्क में बैडमिंटन खेलने जाता वहां अपने हम उम्र साथियों के साथ उसके अच्छे दोस्त बन गए थे । सबसे प्रिय दोस्त था अमित । वह बहुत अच्छा खेलता था
और सारे ही उससे मन भी मन ईष्या करते थे । एक दिन किसी साथी ने उसका रैकेट तोड़ दिया । वहां बैठा रो रहा था । तब श्यामू ने उससे पूछा क्यों रो रहे हो । उसने अपना रैकेट दिखाया । दोनों बातें करने बैठ गए । तब श्यामू ने पूछा तुम्हारा घर कहां है । अमित ने बताया पार्क के पीछे वाली गली में हमारा घर है ।
हम दो भाई हैं । बड़े भाई 12th में पढ़ रहे हैं । मेरे पापा रंजन जी नगर निगम ऑफिस में बड़े बाबू के पद पर कार्यरत हैं । उनके व्यवहार से उनके साथी लोग खुश रहते हैं । मेरी मां रजनी घर में हम सब का अच्छे से ध्यान रखती है । खाने पीने का और घर को भी अच्छे से व्यवस्थित रखती है ।
दूसरे दिन श्यामू पार्क में जब खेलने आया तो उसके पास दो रैकेट थे । मुझसे बोला अमित यार तू नहीं खेलेगा तो मैं भी नहीं खेलूंगा । वह बोला मेरे पास रैकेट नहीं है । तब श्यामू ने नया रैकेट उसको देते हुए कहा यह ले अमित । अमित ने मना कर दिया तो वह मुंह फुला कर बैठ गया कि मैं भी नहीं खेलता ।
अमित उसको देखकर हंसने लगा । उससे प्यार से बोला चल आजा मैं खेल लेता हूं । दोनों खेल में मस्त हो गए । समय की गति घूमती रही । बच्चे बड़े हो गए । अमित अपनी पढ़ाई में अच्छे नंबरों से पास होता रहा वहीं श्यामू पढ़ाई से बिछड़ता चला गया । उसका मन पढ़ाई में नहीं लगता था । और वह गलत संगत में पढ़ने लगा ।
कुछ लड़के आवारा टाइप के उसके दोस्त बन गए ।अमित उसको बहुत समझाता पर उसकी समझ में नहीं आ रहा था । एक दिन उसने अमित को भी उल्टा सीधा बोल दिया सब दोस्तों के सामने । तुम पढ़ाई के कीड़े हो । जिंदगी कैसे बीतती है तुम क्या जानो यह सब हाई-फाई सोसाइटी की जिंदगी ।
तभी से अमित ने उससे दूरी बना ली । पर दिल में उसके लिये प्यार कम नहीं कर पाया । पढ़ाई पूरी कर अमित बैंक में सर्विस करने लग गया । श्यामू को तो नौकरी आदि की भी कोई चिंता नहीं थी । वह तो अपने बाप के पैसों से अपना जीवन खुशी खुशी अय्याशी पूर्ण जी रहा था । उसके दोस्त भी उसकी चमचागिरी करते रहते । वह खनकती माया में और दिखावे की जिंदगी में पूरी तरह से मस्त रहता ।
अब वकील साहब को अपने बेटे की चिंता लगी रहती । अब श्यामू के मां-बाप ने सोचा किसी तरह इसकी शादी कर दें । शायद बहू के आने से यह ठीक से जीना शुरु कर दे । शादियां तो बहुत आ रही थी । लड़की वाले सोचते घर परिवार बहुत संपन्न घर है । लड़का भी देखने में हैंडसम और क्या चाहिए ।
रंजन जी और रजनी जी के दोनों बेटों की शादी हो गई । दोनों बहुएं सुंदर सुशील व्यावहारिक कुशल हैं । बड़ा बेटा दूसरे शहर में सर्विस करता है । अमित अपने मां-बाप के पास रहता है । उसकी बहू मंजू बड़ी लगन से अपनी सासू मां और ससुर जी का आदर भाव से सेवा करती है । अमित के दो प्यारे प्यारे बच्चे हैं ।
एक बेटा एक बेटी । इधर श्यामू अपनी चमकते माया नगरी में दिन पर दिन डूबता गया । अब उसकी सेहत में गिरावट आने लगी । बाहर का खाना पीना सब ने उसको शारीरिक रूप से कमजोर कर दिया ।
एक रात जब वो घर आया तो उसके बाद उसको भयंकर उल्टियां होने लग गई । साथ में थोड़ा ब्लड भी आया । उसको रात में ही अस्पताल लेकर भागे । चेक करने के दौरान डॉक्टर ने बताया उसका लीवर कमजोर हो गया है । जिसके कारण लीवर अच्छे से काम नहीं कर पा रहा । वकील साहब से कहा चिंता ना करिए 15 20 दिन में ठीक हो जाएगा ।
15 दिनों बाद अस्पताल से छुट्टी लेकर घर आ गए । इस बीच अमित को किसी से पता चला और वह उसे लगातार देखने घर आता रहा । उसको देख श्यामू की आंखों में आंसू आ गए ।
जो श्यामू के पैसों पर ऐश करते थे वह कोई नहीं आया । फोन पर मैसेज भेज कर इति श्री कर लिया । अब श्यामू को असली नकली का भेद समझ आ गया । वह दिखावे की जिंदगी से दूर चला गया । उसकी पत्नी ने अपने पति की जी जान से सेवा की । धीरे-धीरे श्यामू अपनी नॉर्मल जिंदगी में आने लगा । एक दिन उसने अपनी पत्नी मंजू से माफी मांगी अपने गलत व्यवहार के लिए ।
प्यार से अपने पास बिठाया । वह बाहर की दुनिया पूर्णता भूल चुका था । उसको चमकती दुनिया से नफरत हो गई । मंजू को लगा वास्तव में उसका विवाह तो अब हुआ है ।
दोनों पति-पत्नी बड़े प्यार से रहते । मां पापा भी दोनों को देखकर मन ही मन खुश होते रहे । कुछ समय पश्चात मंजू ने एक प्यारी सी गुड़िया को जन्म दिया । पूरा परिवार खुशियों से झूम उठा । अमित भी अपने परिवार के साथ मिलने आता रहता और कहता मंजू भाभी आपके प्यार में इतनी शक्ति थी । दोस्त को भगवान ने नया जीवन दिया है । दिखावे की जिंदगी से अब दूर कर दिया है ।
लेखिका
सरोजनी सक्सेना
#दिखावे की जिंदगी