मुझे तो अपने बेटे की शादी का रिसेप्शन उसी महंगे होटल से करना है जहां से मेरे भाई ने किया था एक ही तो बेटा है मेरा ,नीता जिद पर अड़ी हुई थी । मोहन जी उनके पति नीता को बहुत समझाने की कोशिश कर रहे थे पर वह सुन ही नहीं रही थी ।
दरअसल दो महीने पहले नीता के भतीजे की शादी हुई थी तो नीता के भाई ने उस महंगे होटल से अपने बेटे का रिसेप्शन किया था।तो नीता भी जिद पकड़े बैठी थी कि मैं भी वहीं से रिसेप्शन करूंगी ।नीता की ननद आई हुई थी और इधर नीता की भाभी भी आई थी तो भाभी नीता की ननद से कहने लगी ये कैसी जिद है कि महंगे होटल से ही रिसेप्शन करना है उतना पैसा भी तो होना चाहिए अब नहीं है इतना पैसा तो दिखावा करने की क्या जरूरत है ।
जितना है उसी में करो ।नीता की ननद संध्या को बहुत बुरा लगा वो जाकर भाई मोहन को बताया कि नीता की भाभी ऐसा ऐसा कह रही है तो मोहन जी को बहुत बुरा लगा ।
नीता पांच बहनें और चार भाई थे ।एक बहन को छोड़कर सारे भाई बहन एक ही शहर में थे। नीता सब भाई बहनों में सबसे छोटी थी । सभी भाई बहनों के बच्चे बड़े हो गए थे तो थोड़े थोड़े अंतराल पर किसी न किसी के घर शादी होती रहती थी । अभी कुछ दिन पहले ही बड़े भाई के बेटे की शादी हुई थी तो खूब अनाप शनाप पैसा खर्च किया गया था।एक से बढ़कर एक कपड़े और जेवर खरीदे जा रहे थे। नीता के सभी भाई-बहनों के पास अच्छा खासा पैसा है ।
सभी ने अच्छा पैसा कमा लिया है और लाइफ स्टाइल भी ब बहुत अच्छी है ।सब नौकरी के साथ साथ कुछ साइड बिजनेस भी करते हैं ।सबके पास एक से बढ़कर एक गाड़ी और फ्लैट हैं । जिनके सामने नीता कुछ नहीं लगती थी उसका किराए का मकान था और मोहन जी की एक छोटी सी नौकरी थी और साथ ही कुछ शेयर मार्केट का काम भी करते थे और एक बेटा एक बेटी थे । मोहन जी रहने वाले तो एक छोटे से जगह के थे ।
बच्चे बड़े हो गए थे तो उनकी बेहतर पढ़ाई लिखाई कराने के चक्कर में अपना शहर छोड़कर बड़े शहर जहां नीता का मायका था वहां आकर रहने लगे थे। नीता का एक भाई सी ए था । नीता का बेटा रजत अब अट्ठारह साल का हो गया था ।उसको भी सी ए करना था तो नीता और मोहन जी ने सोचा कि मामा से बेटे को पढ़ाई के साथ साथ अच्छी गाइडेंस मिल जाएगी तो वो यहां आ गए ।एक बेटी थी नीता के जो इस साल ग्रेजुएशन करने जा रही थी।
मोहन जी का पुश्तैनी घर जो काफी बड़ा था उसका एक हिस्सा बेचकर इस शहर में शैटिल होने को आ गए थे। यहां नए शहर में रहने के लिए हाथ पैर मार रहे थे।मोहन जी को किराए का मकान लेना पड़ा।एक पुराने जगह को छोड़कर ने नए शहर में घर गृहस्थी जमाना बड़ा मुश्किल होता है । दोनों बच्चे अभी पढ़ रहे थे।
सारा खर्चा मोहन जी के ऊपर था। यहां नीता के भाई बहन बरसों से रह रहे हैं तो उनका जमा जमाया काम था और अपना फ्लैट था। नीता के भाई बहनों के पास अच्छा पैसा था तो सब एक से बढ़कर एक साड़ी , कपड़े,जेवर पहनते थे ।और घर का रख रखाव भी बेहतरीन था। नीता सबकी लाइफस्टाइल देखती तो वो भी उनकी बराबरी करने की सोचती मोहन जी उनको समझाते कि देखो नीता इस दिखावे की जिंदगी से बाहर आओ उनके पास बहुत पैसा है हम उनकी बराबरी नहीं कर सकते।हम नए शहर में ढंग से रह ले और बच्चों को ढंग से पढ़ा लिखा ले रही बहुत बड़ी बात है।
बेटे रजत को सीए कराने लाए थे तो दो बार पेपर देने के बाद उसने हार मान ली ।और बैंक की तैयारी करने लग गया। फिलहाल उसकी बैंक में नौकरी लग गई ।और अब उसकी शादी होने जा रही थी।कई लड़कियां देखने के बाद एक लड़की पसंद आ गई लेकिन लड़की के मां बाप गरीब थे उनके पास कोई काम धंधा नहीं था ।
बस कुछ मकान और दुकान किराए पर चल रहे थे उसका जो किराया आता था बस उसी से उनका खर्च चलता था।अब लड़की पसंद आ गई थी तो मोहन जी ने पैसे लगाकर शादी करे ।अब रिसेप्शन देना था तो नीता कह रही थी मेरे एक ही तो बेटा है उसका रिसेप्शन में सबसे मंहगे होटल में करूंगी। हालांकि मोहन जी शेयर का काम भी करते थे तो जब भी शेयर मार्केट अच्छा होता थी तो अच्छे पैसे भी मिल जाते थे उसमें मोहन जी ने कुछ पैसे कमा लिए थे। लेकिन खर्चा भी तो बहुत था।
अभी बेटी की भी शादी करनी थी तो संभाल कर पैसा खर्च करते थे। लेकिन नीता की ज़िद के आगे मोहन जी की एक न चली और महंगे होटल में हुए रिसेप्शन निपटाया।
नीता का अपने भाई बहनों की शानो-शौकत को देखकर दिमाग खराब रहता था ।वो हर समय जिद करती रही थी कोई न कोई चीज के लिए।अब सबके घर में हर कमरे में ए सी लगा है तो हमारे घर में भी लगा होना चाहिए।अब घर में नई नई बहू आई है तो उसके कमरे में नया पूरा फर्नीचर लगवाना है आज मोहन जी से नीता जिद कर रही थी देखो बड़े भाई ने अपने बेटे बहू का कमरा कितना अच्छे से सेट करवाया है
वैसे ही तुम भी करवा दो बहूं का कमरा और कूलर में कौन सोता है आजकल एसी ही का जमाना है । हां एसी का जमाना है मोहन जी बोले अपनी जेब भी तो देखी जाती है ।हर काम देखा-देखी में नहीं किया जाता है। जितने एसी लगेंगे उतना बिल भी तो आएगा।डाटं खा लेने पर नीता बस मन मसोस कर रह जाती थी ।मोहन जी कहते देखो अपने पास इतना पैसा नहीं है घर भी संभालना है , बच्चों को भी देखना है और यहां रिश्ते दारो के बीच रोज ही कुछ न कुछ लेना देना लगा रहता है।
आज इस बहन के बेटे की शादी है तो कल उस भाई की लड़की की शादी है ।एक शादी में जो कपड़ा पहन लिया वो दूसरी शादी में नहीं पहनना कहां से करूं मैं इतना सबकुछ। हां शेयर बाजार से कुछ पैसा कभी कभी अच्छा मिल जाता है तो डूब भी तो जाता है पैसा समझती नहीं हो । पता नहीं कब समझ आएगी तुम्हें।
किराए के मकान में रहते रहते बीस साल हो गए थे । मोहन जी अब अपना मकान करना चाह रहे थे कबतक किराए के मकान में रहते रहेंगे किराया भी बढ़ता जा रहा था मकान का।बेटी की शादी भी निपटा चुके थे और अब उम्र भी धीरे-धीरे बढ़ रही थी। बेटा भी ढंग से बैंक की नौकरी नहीं कर पा रहा था। अपने शहर के बैंक में था तो ठीक था लेकिन जब शहर से बाहर ट्रांसफर हो गया तो उसके लिए मुश्किल आने लगी उसका मन ही नहीं लगता था घर से बाहर रहने में।
प्राइवेट बैंक थी तो मेहनत तो करनी ही पड़ती है नौकरी करने में चाहे जो भी नौकरी हो बस उससे मेहनत ही तो न हो पाती थी ।जिस बैंक में नौकरी कर रहे हैं उससे हजार दो हजार रूपए यदि दूसरी बैंक में मिल रहे हैं तो वो पहली नौकरी छोड़कर दूसरी पकड़ लेता था । फिर किसी बैंक के लिए आप नये हो तो टारगेट दे दिया जाता था पूरा करने को और यदि टारगेट नहीं पूरा हो रहा है तो नौकरी से निकाल देने कि धमकी सुनते रहो । टारगेट पूरा करने की गर्दन पर तलवार लटकती रहती थी ।
फिर हुआ भी वही कि आखिर में एक दिन निकाल दिया गया नौकरी से। नौकरी छोड़कर बेटा घर बैठ गया ।अब मोहन जी को बेटे का भी सहारा नहीं रहा।अब बेटा कुछ बिजनेस करने के चक्कर में था । बिजनेस करने को पैसा चाहिए और मोहन जी के पास इतना पैसा था नहीं कि बिजनेस के लिए पैसा देते ।घर की और घर के सारे मेम्बर्स की जरूरतें पूरी कर लें यही बहुत था ।अब बेटे भी दो बच्चे हैं गए थे उसकी जिम्मेदारी भी मोहन जी पर ही आ पड़ी।
अब मोहन जी ने अपनी पुश्तैनी मकान को बेचकर और कुछ पैसे पंद्रह लाख इधर उधर से और कुछ रिश्तेदारों से लेकर एक फ्लैट खरीद लिया ,कम से कम किराए से तो बचेंगे । लेकिन जिससे उधार लिया है तो वापस भी तो करना है।शेयर बाजार जब कुछ अच्छा प्राफिट दे देता तो कुछ कुछ करके पैसे लोगों के लौटा भी देते थे।
लेकिन अब मोहन जी चिंता ग्रस्त रहने लगे इसी चिंता में बीमार रहने लगे । शुगर और वी पी तो आजकल कामन सी बीमारी हो गई है लेकिन मोहन जी के पैरों में सूजन आने लगी और यूरीन भी ठीक से पास नहीं होती थी डाक्टर को दिखाया तो किडनी संबंधी परेशानी बताई । आजकल डाक्टरों के नाम पर खूब लूट मची है ढंग से अच्छे से इलाज न होने के कारण बीमारी बढ़ गई और किडनी खराब ही हो गई ।
जब ज्यादा ही परेशानी आने लगी तो डाक्टर ने डायलिसिस की सलाह दी उसके बिना कोई और रास्ता नहीं था।अब क्या किया जा सकता है पैसा खूब लग रहा है । परेशान हैं परेशानी साफ चेहरे पर दिखने लगी ।लड़का भी किसी काम का नहीं है बिना काम धंधा के बैठा है दो दो बच्चे हैं ।
अब नीता परेशान हैं अब इस दिखावे की जिंदगी जीने से ।अब नीता ने भाई बहनों के बच्चों की शादी ब्याह में आना जाना कम कर दिया क्योंकि नये साड़ी कपड़े हो तब न जाए कोई कह न देगा कि अरे नीता तुम तो वहीं पुरानी साड़ी पहनकर आ गई। अभी तो तुमने पिछली शादी में पहनी थी।कम से कम मोहन जी ने समझदारी से काम लिया तो घर की स्थिति को किसी तरह संभाले हुए हैं । पैसा किसी से मांगने की जरूरत नहीं पड रही है ।
दोस्तों अपने पास जितना हो उसी में जीनेकी कोशिश करें दिखावे की जिंदगी न जाए । सावधान रहे लोगों से अपना मजाक बनाने का मौका न दे ।जो कुछ अपने पास है उसी में खुश रहे। अगर किसी से उधार लिया है तो उसे वापस भी तो करना पड़ेगा न ऐसी नौबत न आने दें कि किसी के आगे हाथ फैलाना पड़े । औकात में रहकर ही खर्च करें और खुश रहे ।
मंजू ओमर
झांसी उत्तर प्रदेश