डायट प्लान  – पायल माहेश्वरी

” आज फिर दिल ने एक तम्मना की

आज फिर दिल को हमने समझाया। “

गजल सम्राट जगजीत सिंह जी के यह मधुर स्वर वातावरण में गूँज रहे थे, मुम्बई में बारिश अपने चरम स्तर पर थी और मैं मेरे दिल की बात को अनसुना कर रही थी। 

मेरे व दिल के बीच अन्तर्विरोध चल रहा था और दिमाग इस सब वार्तालाप के बीच में हस्तक्षेप कर रहा था। 

” तुम समझते क्यों नहीं हो, जो तुम चाहते हो वैसा संभव नहीं हैं, मैंने बड़ी कठिनाई से यह सफलता हासिल करी हैं और सिर्फ तनिक स्वाद के मोह में आकर मैं अपनी व तुम्हारी सेहत से समझौता नहीं कर सकती हूँ। “

” पिछले छह महीने से तुम घासफूस व संतुलित आहार पर निर्भर हो मैं भी अपना स्वाद बदलना चाहती हूँ और उसपर मौसम का तकाजा भी हैं ” जीभ दुखी होकर बोली। 

” हम जीभ का समर्थन करते हैं, दिल, पेट व स्वाद कोशिकाओं ने एकमत होकर बोला। “

” क्या तुम पागल हो गयी हो, तुम्हारे लिए तलाभुना गरिष्ठ भोजन देखना भी पाप हैं ” दिमाग ने खलनायक की तरह मुझे पीछे धकेला।

अपने दिल पर काबू पाने के लिए मैं घर से बाहर निकल गयी, मुम्बई में बारिश की हरियाली चारों और थी मन्द मन्द हवा चल रही थी और हर दूसरी दुकान पर चाय, वड़ा पाव व पकौड़ो की बहार आयी हुई थी।

अब तो उनकी मनभावन खुशबू से नासिका भी विद्रोह पर उतर आयी थी।

” हे प्रभु!! अब आप ही मुझे इस समस्या से निदान दिलवाए ” मैंने बोला।

पर आज भगवान भी मेरी समस्या बढ़ाना चाहते थे झमाझम बारिश आने लगी थी और मैंने पतिदेव के आफिस में शरण लेने की सोची।

बिना बताए मैं अचानक ही पहुँच कर उनको आश्चर्यचकित कर देना चाहती थी, पर ये क्या मैं स्वयं ही आश्चर्यचकित हो गयी, और पतिदेव अपनी चोरी पकड़े जाने पर सकपका गये वो उसके साथ रंगे हाथों पकड़े गये,मेरे क्रोध की सीमा नहीं थी।

” अरे नहीं सखियों!! जैसा आप सोच रही हैं वैसा कुछ नहीं हैं।”

 संतुलित आहार का संकल्प लेने वाले पतिदेव जो घर पर जरा सा घी,तेल मक्खन खाने से कतराते हैं और हमें भाषण देते हैं आज अपने चार पाँच दोस्तों की महफिल जमाकर चाय पकौड़े व वड़ा पाव का लुत्फ़ उठा रहे थे। 

” भाभीजी !! आप बड़े सही समय पर आयी हैं, इस मौसम में पकौड़े व चाय का स्वाद अद्भुत होता हैं ” पतिदेव के दोस्त शर्मा भाई बोले। 


” भाईसाहब!! मैं अभी डायट प्लान पर हूँ और मेरे साथ-साथ आपके दोस्त भी डायट प्लान पर हैं ” मैंने व्यंग्य से कहा। 

” डायट प्लान!! अरे भाभीजी जबसे सावन का महीना आया हैं तब से लगभग रोज ही हम इस प्रकार की चाय पकौड़ा पार्टी किसी ना किसी के आफिस में रखते हैं और सभी शामिल होते हैं ” शर्मा भाईसाहब ने सच्चाई बयान कर दी।

उस समय पतिदेव को हमारे स्थान पर रणचंडी नजर आ रही थी। 

” आप आज घर आओ,मैं अब नखरे सहन नहीं करूंगी ” मैंने क्रोधित अखियों से पतिदेव को देखा वो मेरे मन की आवाज पहचान गये।

” भाभीजी!! आज के दिन अपना डायट प्लान छोड़ दे दिल व जीभ की सुने हमारे साथ बैठकर महफिल का आनंद ले ” शर्मा भाईसाहब मेरी मनोदशा से अनजान थे। 

आखिर दिल नृत्य करने लगा और जीभ व नाक ताल से ताल मिलाने लग गये स्वाद कोशिकाओं ने भी चाय पकौडो व वडापाव के साथ न्याय दिखाया।

हाँ यह बात और हैं कि भरपाई करने के लिए उस दिन रात के भोजन में सिर्फ सूप व सलाद खाए गये जो पतिदेव ने भी सहर्ष स्वीकार कर लिए।

दूसरे दिन व्यायाम थोड़ा ज्यादा किया गया और जब वापिस वजन नापने वाला दिन आया तो वजन बढ़ा नहीं था।

“दिल व जीभ की आवाज कभी-कभी सुन लेनी चाहिए ” मैंने दिमाग से कहा और दिमाग ने स्वीकृति दी।

हाँ यह बात और हैं की पतिदेव के दोपहर वाले खाने में हम डायट फूड भेजने लगे (यह उनकी करनी का फल था) और शर्मा भाईसाहब के साथ चाय पकौडो व वडापाव की महफिल कभी-कभी जम जाती थी पर संतुलन बनाए रखने से हम दोनों का वजन नहीं बढ़ा। 

संतुलन जीवन में बहुत आवश्यक हैं मैंने दिमाग व दिल से यह निष्कर्ष निकाला और आज पहली बार दिल व दिमाग साथ नजर आए।

आपकी प्रतिक्रिया के इंतजार में 

पायल माहेश्वरी 

यह रचना स्वरचित और मौलिक हैं 

धन्यवाद।

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!