दिए की कीमत – संजय मृदुल

Post Views: 4 “सुनो! कैसे दिए भैया दिया।” “बीस के दस।” मुस्कुरा कर जवाब दिया उसने। “अरे!इतने महंगे?” उनकी आंखें फैल कर बड़ी हो गयी। “क्या करें बहनजी। सब कुछ तक महंगा हो गया है।” “तो! इसका क्या मतलब? कौन सा मिट्टी खरीदनी पड़ती है तुम्हें। मुफ्त की मिट्टी मुफ्त का पानी। फिर भी इतना … Continue reading दिए की कीमत – संजय मृदुल