धूसर चंद्रमा – राजेन्द्र पुरोहित

पूजा की थाली सजाती उर्मि के सामने बैठी भागवंती मन ही मन बुदबुदा रही थी, “सुबह से भूखी प्यासी सोलह श्रृंगार कर के किसकी प्रतीक्षा कर रही है पगली। वह नीच तो पड़ा होगा उसी लिली की बाहों में। हे माँ भवानी, तूने मुझे इतनी गुणवंती बहू दी तो बेटा इतना अधम क्यों दिया?”  तभी … Continue reading धूसर चंद्रमा – राजेन्द्र पुरोहित