धिक्कारिए नही …स्वीकारिए !!- लतिका श्रीवास्तव : Moral stories in hindi

एक डर था जो धीरे धीरे आकार ले रहा था मेरे अंदर जो अचानक  नहीं हुआ था नवागंतुक नहीं था यह शायद यह तभी मेरे अंदर प्रस्फुटित हो गया था जब मेरी मां मुझे एक पुत्री को जन्म देने वाली थी वो भी उस समय जबकि पूरा खानदान घर के चिराग की एक अदद पुत्र … Continue reading धिक्कारिए नही …स्वीकारिए !!- लतिका श्रीवास्तव : Moral stories in hindi