धिक्कार है धिक्कार – सुभद्रा प्रसाद : Moral stories in hindi
Post View 179,051 रात के दो बजकर दस मिनट हो चुके थे |प्रियंका स्टेशन के प्लेटफार्म पर शाल ओढ़े चुपचाप बैठी थी | उसे समझ नहीं आ रहा था, वह क्या करे? रात दो बजे वाली ट्रेन आकर आगे जा चुकी थी और उसका मन तेजी से पीछे की ओर भाग रहा था | … Continue reading धिक्कार है धिक्कार – सुभद्रा प्रसाद : Moral stories in hindi
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed