ढ़लती साँझ – डॉ आभा माहेश्वरी : Moral Stories in Hindi
Post View 381 सुबह होती है शाम होती है जिंदगी बस यूँही तमाम होती है– जिंदगी का सफर चलता जाता है अनवरत रुकता नही।जैसे भोर हुयी फिर दोपहर हुयी और फिर साँझ गहराने लगी– मन में अपने अपने भाव के अनुरूप समाहित होने लगी। सुखिया और उसके पति एक गाँव में रहते थे।वही खेतीबाड़ी थी– … Continue reading ढ़लती साँझ – डॉ आभा माहेश्वरी : Moral Stories in Hindi
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