“ढलती सांझ” – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

Post View 601 बाल कनी मे बैठ कर रमा चिड़ियो को देख रही है ।जो इस ढलती सांझ को अपने बसेरे पर लौट रहे हैं ।सोच रही है वह ,उसकी जिंदगी की भी तो यह ढलती सांझ ही है, पता नहीं कब उड़ने को तैयार होना पड़े ।चाहे जीवन कितना भी आगे बढ़ जाये, अतीत … Continue reading “ढलती सांझ” – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi