ढलती सांझ – डा.शुभ्रा वार्ष्णेय : Moral Stories in Hindi
Post View 353 शहर की हलचल और भागदौड़ से भरी इस ज़िंदगी में समय जैसे पंख लगाकर उड़ता है। ऑफिस के लंबे घंटे, परिवार की जिम्मेदारियां और अपने सपनों के पीछे भागते इंसान को शायद ही यह अहसास होता है कि उसकी ज़िंदगी की घड़ी धीरे-धीरे ढल रही है। यह कहानी एक ऐसे व्यक्ति, आदित्य … Continue reading ढलती सांझ – डा.शुभ्रा वार्ष्णेय : Moral Stories in Hindi
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