देवकन्या (भाग-5) – रीमा महेन्द्र ठाकुर : Moral stories in hindi

Post View 81 विरक्ति “राजा का वियोग” देवी,,मेरे मन मे अंसतोष  का वो अंकुर फूट गया है,जो मुझे दग्ध कर रहा है””मै इस महाप्रतापी इक्ष्वाकुवंश का   मान न रख सका””आह””” आंखों से सैलाब फूट पडा, पुरी  नरेश के”” पति की ऐसी स्थिति  देख, विहृवल हो उठी रानी त्रिशला”” आप इस तरह स्वयम् को अपराधी … Continue reading देवकन्या (भाग-5) – रीमा महेन्द्र ठाकुर : Moral stories in hindi