देवकन्या (भाग-5) – रीमा महेन्द्र ठाकुर : Moral stories in hindi

Post Views: 4 विरक्ति “राजा का वियोग” देवी,,मेरे मन मे अंसतोष  का वो अंकुर फूट गया है,जो मुझे दग्ध कर रहा है””मै इस महाप्रतापी इक्ष्वाकुवंश का   मान न रख सका””आह””” आंखों से सैलाब फूट पडा, पुरी  नरेश के”” पति की ऐसी स्थिति  देख, विहृवल हो उठी रानी त्रिशला”” आप इस तरह स्वयम् को अपराधी … Continue reading देवकन्या (भाग-5) – रीमा महेन्द्र ठाकुर : Moral stories in hindi