नन्ही कुहू को हमेशा लगता कि हम सब मिलकर दादी दादा के साथ त्योहार में एक साथ हो कितना अच्छा हो। पर अमित की नौकरी विदेश में होने के कारण त्योहार में अपनों के पास आ ही नहीं पाता । क्योंकि उसके पास उस समय छुट्टी नहीं रहती !
हमेशा चाहकर भी दीवाली का त्योहार साथ में मना नहीं पाता। लेकिन जो उसनेे बचपन से पूजा पाठ, परंपरा और संस्कृति को देखा ।वह बिल्कुल भी नहीं भूला। उसे लगता कि काश त्योहार में वो बचपन वाले दिन लौट आते कितना अच्छा होता!
वह भारतीय संस्कृति से बच्चों को रुबरु कराना ही चाहता था।उसकी दो बेटी कुहू और पीहू है।अब जो बड़ी हो रही हैं।
उनका प्रेम सबके साथ बना रहे और परिवार के बीच दूरियां कभी भी न हो।
इसलिए उसकी आदत थी जब भी अपने पापा मम्मी से बात करता तो वीडियो काल में बच्चों की भी बात कराता , उसे अंदर से खुशी होती।
इसलिए आज वह सब अपने बच्चों में संस्कार देने में चूक नहीं करना चाहता, उसे लगता हम जैसा करेंगे वह असर बच्चों में भी होगा।
आज दीपावली का दिन है ।जिसमें सुबह से ही पूजा की तैयारी की जाने लगी।
पीहू ने पापा से कहा _पापा हम दादू वाले समय के हिसाब से पूजा करेंगे?
फिर अमित ने कहा _हां बेटा हमें रीति-रिवाज और संस्कृति को मानना चाहिए। मैं भी तुम्हारे दादू के अनुसार वीडियो काल से सब पूछ कर वैसा ही करुंगा।
अब जब पूजा का समय हुआ,तब लक्ष्मी पूजन किया गया, और प्रसाद भी चढ़ाया गया। उसके बाद आतिशबाजी के लिए फुलझड़ी जलायी गई।
साथ ही पीहू ने मम्मी के साथ रंगोली बनवाई।
दीपक की जगह केंडल जलाई।
अब पूजा के बाद वीडियो काल से जैसे ही चरण स्पर्श अमित ने किया वैसे ही पिता जी ने आशीर्वाद दिया। और कहा दीवाली का तोहफा जब आओगे तब दूंगा।
पापा आपका आशीर्वाद बना रहे इससे ज्यादा क्या चाहिए…
हां हां… पहले कितनी गिफ्ट की फरमाइशें होती थी। लिस्ट बन जाती थी।
अब पीहू भी कहने लगी दादू मुझे भी बहुत सारे गिफ्ट चाहिए। तभी दादू ने कहा _ हां हां…
पीहू तुम लोग आ तो जाओ , गिफ्ट जरुर मिलेंगे।
इस तरह दीवाली निकल गई।तब वह गिफ्ट की बात नहीं भूली और कहने लगी पापा जब हम दादू के पास जायेंगे तो दीवाली के गिफ्ट मिलेंगे?
फिर अमित ने समझाया बेटा गिफ्ट से ज्यादा जरुरी आपस में एक-दूसरे प्यार और सम्मान होना चाहिए।बड़े हमें गिफ्ट इसलिए देते हैं ताकि आपस में प्यार का अहसास बना रहे।
हमें अपने परिवार को एक दूसरे से जोड़ कर रखने के लिए ही आपस में तालमेल बनाना चाहिए। इस कारण से ही बड़ों का आशीर्वाद लिया जाता है।
इस तरह पीहू भी कहने लगी _ पापा आप तो सही है। हमें दादू, दादी, चाचा ,चाची, सबसे बात करके अच्छा लगता है। दादी के यहां सब कितना सब एक-दूसरे को चाहते हैं।
सखियों _ ये रिश्ता ही आपस में एक-दूसरे को जोड़ने की कड़ी होता है। जहां हम रीति-रिवाज और त्योहार के माध्यम से एक दूसरे से जुड़ पाते हैं
सखियों_ ये रचना कैसी लगी कृपया अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें। कोई त्रुटि हो तो क्षमा करें।
आपकी अपनी सखी
अमिता कुचया